नई दिल्ली: सचिन तेंदुलकर ने अपनी पुस्तक लांच कर पूरी दुनिया को अपने स्ट्रगल के बारे में बताया अपनी जीवनी के बारे में बताया हम आपको बता दे की मौजूदा समय में सबसे अमीर खिलाडि़यों की सूची में शुमार है।
हाल ही में अपने बीते स्ट्रगल भरे दिनों की कुछ यादो के बारे में ज़िक्र करते हुए सचिन ने कहा बताया कि एक समय ऐसा भी था, जब उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वे रेलवे स्टेशन से घर जाने के लिए ‘कैब’ हायर कर पाते। साथ ही उन्होंने कहा कि जब वे अंडर-15 का मैच खेल कर पुणे से मुंबई लौटे, तो उनके पास स्टेशन से घर जाने के लिए पैसे नहीं थे। तब सचिन की उम्र मात्र 12 बर्ष की थी और वे मुंबई की अंडर-15 टीम में चयनित हुए थे।
सचिन कहते है की मैं बहुत उत्साहित था। मैंने घर से कुछ पैसे लिए और हम पुणे चले गए। पहले तीन मैच में बारिश होने लगी थी। डीबीएस की पहल पर यह मैच कराए गए थे। जब मुझे बल्लेबाजी का मौका मिला तो मैं चार रन बनाकर रन आउट हो गया। उस दिन मैं ड्रेसिंग रूम में आकर बहुत रोया था, मैं बहुत निराश था, क्योंकि मुझे दोबारा बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला। चूंकि बारिश हो रही थी इसलिए मैच नहीं हुआ। हमारे पास पूरे दिन करने के लिए कुछ नहीं था। इसलिए पूरे दिन हम घूमे ,मूवी देखी और खाया। मैं नहीं जानता था कि पैसे को कैसे खर्च करना है। इसलिए मैंने पूरे पैसे खर्च कर दिए। जब हम वापस लौटे तो मेरे पास एक फूट कौड़ी भी नहीं थी। मैं दो बड़े बैग लेकर गया था, लेकिन पैसे नहीं होने के कारण दादर स्टेशन से शिवाजी पार्क मैं चलकर आया, क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं थे।
साथ ही सचिन उस समय टेक्नोलॉजी की कमी की बात करते हुए कहा की आज तकनीक काफी विकसित हो गई है, लेकिन तब ऐसा नहीं था, वरना अगर मेरे पास सेलफोन होता तो मैं एक मैसेज कर अपने माता-पिता से पैसे मंगा सकता था। यह तकनीक की खूबी है। तकनीक के सहारे उन्होंने थर्ड अंपायर ने आउट करार दिया था और थर्ड अंपायर के जरिए आउट करार दिए जाने वाले वे विश्व के पहले खिलाड़ी हैं। कभी-कभी तकनीक आपको नुकसान भी पहुंचा देता है। मुझे थर्ड अंपायर ने 1992 में रन आउट करार दिया था।