फिर सियासत में लौटे बिहार के चिराग, जानिए BJP का प्लान
फिर सियासत में लौटे बिहार के चिराग, जानिए BJP का प्लान
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पटना: नीतीश कुमार भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से किनारा कर चुके हैं। परिवर्तित होती परिस्थिति में रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान सूबे की राजनीति में एक्टिव होते दिखाई दे रहे हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के एकमात्र सियासी 'चिराग' दलितों एवं महादलितों को एकजुट कर नीतीश के विरुद्ध हुंकार भरने की तैयारी में हैं। इसके लिए भी चिराग पासवान ने सीएम नीतीश कुमार के क्षेत्र नालंदा को चुना है। नालंदा को चिराग पासवान ने पार्टी का बेस बनाने के लिए चुना है। 

चिराग पासवान अपने कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण शिविर लगा रहे हैं जिसका आरम्भ 22 सितंबर को हो भी गया। ये शिविर 24 सितंबर तक चलेगा तथा इसमें दलितों-महादलितों पर फोकस किया जाएगा। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की रणनीति नालंदा से दलितों एवं महादलितों को साधने के पश्चात् चिराग पासवान को भविष्य के मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने की है। चिराग अपना अधिक वक़्त बिहार में देंगे। चिराग पासवान को लेकर बिहार फर्स्ट एवं बिहारी फर्स्ट के विजन को सामने लाया जाएगा तथा इसके लिए बाकायदा एक श्वेत पत्र भी जारी किया जाएगा। जिसे कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर अपने समाज में जाकर बताएंगे। इस शिविर में पार्टी की महिला कार्यकर्ताओं का भी विशेष ध्यान रखा गया है।

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की मानें तो नालंदा में ढाई लाख से अधिक पासवान वोटर हैं तथा वे एकजुट हो गए तो चिराग पासवान को लाभ होगा। इसलिए चिराग ने हुंकार के लिए नालंदा को चुना है। लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर चिराग पासवान की सक्रियता के पीछे राजनीति के विशेषज्ञ भाजपा का रोल देख रहे हैं। राजनीति के विशेषज्ञ मानते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी ने ही अपने हनुमान चिराग पासवान को बिहार में एक्टिव किया है जिससे महागठबंधन को कड़ी टक्कर दी जा सके। चिराग कुछ भी नहीं तो दलितों एवं महादलितों के बीच लोकप्रिय हैं तथा इसका लाभ भाजपा को मिल सकता है। राजनीति के विशेषज्ञों की मानें तो चिराग पासवान की प्रशिक्षण शिविर के नाम पर सक्रियता इसी प्रकार की प्लानिंग से संबंधित है। कहा जा रहा है कि चिराग पासवान अपने कार्यकर्ताओं को खास तौर पर ट्रेंड कर रहे हैं। उन्हें बता रहे हैं कि दलित एवं महादलित राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और कृषि के स्तर पर क्यों पिछड़े हुए हैं। इन बिंदुओं पर कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने के पश्चात् चिराग की योजना इन्हें 2025 के बिहार चुनाव में पहले से ही मैदान में उतार देने की है।

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