देश की पहली महिला जिसने भरी थी अंतरिक्ष  के लिए उड़ान, लेकिन रास्ते में ही हो गया था ये हाल
देश की पहली महिला जिसने भरी थी अंतरिक्ष के लिए उड़ान, लेकिन रास्ते में ही हो गया था ये हाल
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भारत की पहली महिला जिसने अंतरिक्ष की उड़ान भरी थी, वह थी कल्पना चावला। अपनी स्कूली और कॉलेज की पढ़ाई कम्पलीट करने के बाद कल्पना 1982 में आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चली गई, और साल 1988 में NASA के रिसर्च सेंटर से जुड़ गई। कल्पना ने अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा 19 अक्टूबर 1997 में 6 यात्रियों के साथ भरी थी। उनकी इस अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत अंतरिक्ष शटल कोलम्बिया एसटीएस-87 से हुई थी। भारत को गौरवान्वित करने वाली कल्पना चावला की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा उनके जीवन की अंतिम यात्रा साबित हुई। 1 फरवरी 2003 को उनका अंतरिक्ष शटल धरती के संपर्क में आने से पहले ही टूटकर बिखर गया था।

बचपन से ही कल्पना की विज्ञान में रूचि थी, लेकिन उनके पिता उन्हें डॉक्टर या टीचर बनाना चाहते थे। लेकिन कल्पना की वैज्ञानिक बनने की इच्छा कम नहीं हुई और इसमें उनकी माँ ने भी उनका पूरा साथ दिया। कल्पना का इंटरेस्ट विमानों में भी बहुत था। उन्हें ग्लाइडर्स और विमानों की उड़ान का सर्टिफिकेट भी हासिल था, जिससे वह एक ट्रेनर के र्रोप में भी काम करती थी। कल्पना को एक कमर्शियल पायलट का दर्जा भी हासिल था। लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि पायलट बनने से पहले वह NASA की एक फेमस वैज्ञानिक रह चुकी हैं।

शुरूआती दौर: कल्पना ने प्रांरम्भिक शिक्षा टैगोर पब्लिक स्कूल करनाल से प्राप्त की। और फिर इन्होने अपनी आगे कि शिक्षा  वैमानिक अभियान्त्रिकी में पंजाब इंजिरिरिंग काॅलेज चंडीगढ़ से पूरी करीं। और 1982 में अभियांत्रिकी स्नातक की उपाधि प्राप्त कि और 1982 में ही वह संयुक्त राज्य अमेरिका चलीं गई। 1984 को वैमानिक अभियान्त्रिकी में विज्ञान निष्णातकी उपाधि टेक्सास विश्वविद्यालय आर्लिंगटन से प्राप्त कि। कल्पना चावला ने अपनी दूसरी उपाधि 1986 में निष्णात की उपाधि प्राप्त कि। 1988 में कोलोराडो विश्वविद्यालय बोल्डर से वैमानिक अभियंत्रिकी में विद्या वाचस्पति की उपाधि प्राप्त कि। कल्पना चावला को  हवाई जहाज़ों ग्लाइडरों व व्यावसायिक विमान चालन के लाइसेंसों के लिए प्रमाणित उड़ान प्रशिक्षक का दर्ज़ा हासिल था। उन्हें एकल व बहु इंजन वायुयानों के लिए व्यावसायिक विमान चालक के लाइसेंस भी प्राप्त थे। अन्तरिक्ष यात्री बनने से पहले वो एक सुप्रसिध्द नासा कि वैज्ञानिक थी।

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