गौपालन संस्था के वैचारिक विवाद में फंसकर मुश्किल में पड़ा प्रशासन, जानिए क्या है पूरा मामला?
गौपालन संस्था के वैचारिक विवाद में फंसकर मुश्किल में पड़ा प्रशासन, जानिए क्या है पूरा मामला?
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इंदौर: भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में अपनी विचारधारा, गौशाला तथा आत्मनिर्भरता के लिए विश्व प्रसिद्ध गौपालन संस्था के एक वैचारिक विवाद में फंसकर इंदौर जिला प्रशासन ने स्वयं समस्या मोल ले ली है। केस की शिकायत भोपाल, दिल्ली तथा उच्च न्यायालय तक पहुंच गई है। यथास्थिति बनाए रखने के संकेत भी उच्चस्तर से सभी संबंधित अफसरों को दे दिए गए हैं। वही इंदौर से लगभग 20 किलोमीटर दूर कम्पेल के समीप पिवडाए गांव में मानव चेतना विकास केंद्र MCVK के नाम से एक रजिस्ट्रड संस्था है। कई गायों , गौ उत्पाद, जैविक कृषि के साथ आत्मनिर्भर ग्राम माडल की वजह से इस संस्था में रहने-देखने विश्व भर के लोग आते हैं। प्रख्यात चिंतक-विचारक ए नागराज के मध्यस्थ दर्शन पर संचालित इस संस्था में व्यक्तियों का आना-जाना चलता रहता है। 

वही बीते दिनों यहां कोरोना महामारी में तब विवाद हुआ जब कुछ व्यक्तियों ने संस्था छोड़कर जाने की इच्छा व्यक्त की। किसी के जाने से किसी को समस्या नहीं थी किन्तु विवाद की जड़ कुछ जमीन एवं उसपर दूसरे के द्वारा किए गए विकास कार्य थे। अंतत: एक नोटरी शपथ-पत्र में दोनों पक्षों ने सहमति व्यक्त की तथा विवाद को आपस में हल कर लिया। इसमें संस्था के प्रमुख सदस्य अजय दायमा थे तथा जबकि संस्था को छोड़कर जाने वाले दूसरे पक्ष में संजय गुप्ता, कृष्ण कुमार चतुर्वेदी, विनोद शर्मा,आनंद दम्मानी, हिमांशु पस्तगीया, रमेश चौधरी, सपन गोयल आदि सम्मिलित हैं।

प्रशासनिक हस्तक्षेप:- दोनों पक्ष के लोगों की आपस में बात होने के पश्चात् ताजा विवाद तब आरम्भ जब खुडैल के पास एक जमीन पर एक महिला नायब तहसीलदार एक पक्ष विशेष का कब्जा कराने पहुंची। जबकि उसी जमीन पर बने मकान आदि का हिसाब किताब शपथ-पत्र के मुताबिक देय होना शेष था। वही 18 अक्टूबर को जब सारी प्रशासन विजयादशमी आदि निपटाकर दूसरे दिन होने वाली ईद के त्योहार में ला एंड आर्डर में लगा था तब नायब तहसीलदार अर्चना गुप्ता एक JCB मशीन लेकर विवादित जमीन पर पहुंच गईं। अवसर पर उन्होंने गैर विवादित सुशीला सिंह की भूमि पर बने द्वार को जबरन खुलवाया तथा आसपास बने मकान आदि को गिराने की धमकी दी। गौशाला को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की। इस सभी कार्यवाई के लिए उनके पास कोई आदेश आदि भी नहीं था। इस सिलसिले में संस्था के अध्यक्ष श्रीमती वर्षा दायमा ने कहा कि नायब तहसीलदार निजी तौर पर आकर आखिर क्यों इस विवाद में हस्तक्षेप कर रहीं हैं। अगर वे प्रशासनिक अफसर के तहत आई हैं तो वांछित कागज तथा पूर्व सूचना दी जानी चाहिए। श्रीमती दायमा ने इस सिलसिले में जिला जिलाधिकारी मनीष सिंह और अन्य अफसरों को भी चिट्ठी लिखकर निष्पक्ष तहकीकात व कार्रवाई की मांग की है।

भोपाल-दिल्ली तक पहुंची शिकायत:- मानव चेतना विकास केंद्र से संबंधित लोग देश भर में हैं तथा उनके द्वारा भोपाल में सीएम दफ्तर एवं दिल्ली में पीएम दफ्तर तक इस मामले में प्रशासनिक अफसर के एक तरफा हस्तक्षेप की शिकायत की गई है। खबर के मुताबिक, सीनियर दफ्तर द्वारा यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं।

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