मुफ्त की रेवड़ियां बांटने वाले सियासी दलों का पंजीकरण रद्द हो.., सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त
मुफ्त की रेवड़ियां बांटने वाले सियासी दलों का पंजीकरण रद्द हो.., सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त
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नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार, निर्वाचन आयोग, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के अलावा कई याचिकाकर्ताओं के एक विशेषज्ञ समूह के गठन पर अपना सुझाव देने के लिए कहा है। शीर्ष अदालत ने ये सुझाव अगले 7 दिनों के अंदर देने को कहा है। ये समूह इस बात की भी जांच करेगा कि चुनाव से पहले बांटे जाने वाले मुफ्त के गिफ्ट (रेवड़ियों) को किस तरह नियंत्रित किया जाए इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने एक रिपोर्ट मांगी है।

बता दें कि, सर्वोच्च न्यायालय ने पूरे देश में चुनाव से पहले रेवड़ी कल्चर को खत्म करने को लेकर फिर एक बार सख्ती दिखाई है। अदालत ने दोहराया है कि ये एक गम्भीर मुद्दा है। निर्वाचन आयोग और केंद्र सरकार इससे पल्ला नहीं झाड़ सकते और ये नहीं कह सकते कि वे कुछ नहीं कर सकते। शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार और निर्वाचन आयोग इस पर रोक लगाने के लिए विचार करे। बता दें कि पूरे देश में चुनाव से पहले लगभग हर सियासी दल, जनता को रिझाने के लिए कई तरह के लोकलुभावन वादे करती है। खास कर हर चीज़ फ्री में बांटने का एक ट्रेंड सा चल पड़ा है। इसे आम भाषा में ‘रेवड़ी कल्चर’ कहा जाता है।

शीर्ष अदालत ने Freebie यानी ‘मुफ्त की रेवड़ी से निपटने के लिए एक विशेषज्ञ निकाय बनाने की बात कही है। अदालत ने कहा कि इसमें केंद्र, विपक्षी सियासी दल, चुनाव आयोग, नीति आयोग, RBI और अन्य हितधारकों को शामिल किया जाए। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि निकाय में 'Freebie' पाने वाले और इसका विरोध करने वाले दोनों शामिल हों। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा ये मुद्दा सीधे देश की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डालता है। इस मामले को लेकर एक सप्ताह के अंदर ऐसे विशेषज्ञ निकाय के लिए प्रस्ताव मांगा गया है। अब इस जनहित याचिका पर 11 अगस्त को सुनवाई की जाएगी।

बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है, जिसमे मांग की गई है कि, चुनाव के दौरान मुफ्त का उपहार देने वाली पार्टियों का रजिस्ट्रेशन खत्म किया जाए। वोट दे कर सरकार बनाने के बदले मुफ्त में जनता को सामान देने का वादा करने वाली पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने बताया है कि ये किस तरह देश राज्य और जनता पर बोझ बढ़ाता है। केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इससे मतदाता की अपनी राय डगमगाती है। ऐसी प्रवृत्ति से हम आर्थिक विनाश की दिशा में बढ़ रहे हैं। चुनावों में मुफ्त के ऐलान वाले वादे के खिलाफ अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर केंद्र सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सैद्धांतिक रूप से हम इस याचिका का समर्थन करते हैं। मुफ्त में देना इकॉनमी के लिए खतरा है। बता दें कि इस साल जनवरी में मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमण और जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच ने केंद्र और चुनाव आयोग दोनों से इस मामले को लेकर जवाब तलब किया था।

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