जमीयत उलमा-ए-हिंद को SC से बड़ा झटका, तब्लीग़ी जमात मामले में कोर्ट ने कही ये बात
जमीयत उलमा-ए-हिंद को SC से बड़ा झटका, तब्लीग़ी जमात मामले में कोर्ट ने कही ये बात
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नई दिल्ली: शीर्ष अदालत ने तब्लीगी जमात के मीडिया कवरेज को लेकर दाखिल याचिका पर कोई अंतरिम फैसला देने से इंकार कर दिया है। अगले सप्ताह अदालत में इस मामले पर सुनवाई की जाएगी। बता दें कि इससे पहले दिल्ली में निजामुद्दीन मरकज के तब्लीगी जमात और इसे लेकर मुसलमानों की छवि धूमिल करने की कोशिश करने का इल्जाम लगाते हुए जमीयत उलमा-ए-हिंद कुछ न्यूज चैनलों के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा था।

जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का कहना था कि हमारी शिकायत की बुनियाद पर अदालत सख्त रवैया अपनाएगा क्योंकि पहले भी इस सिलसिले में सख्त हिदायत दी गई है। मौलाना मदनी ने कहा था कि इस मसले पर शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया गया है क्योंकि तब्लीगी जमात की जो तस्वीर प्रस्तुत की जा रही है, उससे लगता है कि मुल्क के भीतर कोरोना इन्हीं लोगों के कारण आया है। इसके नाम पर पूरी मुस्लिम कौम को दागदार करने का प्रयास किया जा रहा है। कुछ टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर भी मुस्लिमों की छवि को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है।

मौलाना मदनी ने कहा कि काफी सारे समझदार पढ़े लिखे हिंदू और कुछ मीडिया वाले ऐसे भी हैं, जो इसे नापसंद कर रहे हैं। खुशी की बात यह है कि खुद RSS के नेता मनमोहन वैद्य का कहना है कि मुसलमानों की छवि धूमिल न की जाए। उन्होंने कहा कि बाहर से आने वालों में हिंदू भी हैं और मुसलमान भी, जो इस वायरस को हिन्दुस्तान में लेकर आए हैं, लेकिन केवल  मुसलमानों को जिम्मेदार ठहराना गलत है।

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