नाबालिग मुस्लिम लड़की की शादी वैध या अवैध ? सुप्रीम कोर्ट और इस्लामी कानून आमने-सामने
नाबालिग मुस्लिम लड़की की शादी वैध या अवैध ? सुप्रीम कोर्ट और इस्लामी कानून आमने-सामने
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की नाबालिग मुस्लिम लड़की की शादी को निरस्त करने और उसे नारी निकेतन भेजने को दी चुनौती देने का मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यूपी के सचिव (गृह) को सोमवार (23 सितंबर) को तलब किया है. पति के पास भेजने की मांग कर रही नाबालिग मुस्लिम लड़की की याचिका पर यूपी सरकार का जवाब न आने से शीर्ष अदालत नाराज है. शीर्ष अदालत ने यूपी के गृह सचिव को सोमवार (23 सितंबर) को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है.

दरअसल, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 16 साल की लड़की के निकाह को अवैध करार देते हुए उसे नारी निकेतन में रखने का आदेश दिया था. इस्लामिक कानून के अनुसार, 16 वर्ष की आयु में लड़की को शादी के योग्य माना जाता है. लिहाजा उसे विवाह का अधिकार है. नाबालिग मुस्लिम लड़की ने सुप्रीम कोर्ट से इसी आधार पर शादी की निर्धारित संवैधानिक उम्र 18 वर्ष होने से पहले किए गए अपने विवाह को वैध घोषित करने की गुहार लगाई है.

इस पर शीर्ष अदालत ने भी सुनवाई के लिए सहमति दे दी थी. पिछली सुनवाई में अदालत के न्यायाधीश एनवी रमणा, न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी और न्यायाधीश अजय रस्तोगी की बेंच ने मामले में दाखिल अर्जी पर सुनवाई करते हुए यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब देने के लिए कहा था. बेंच ने यूपी सरकार से पूछा कि याचिकाकर्ता लड़की को दांपत्य जीवन जीने की अनुमति क्यों न दी जाए, जबकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शादी को निरस्त कर दिया था.

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