नई दिल्ली: देश की शीर्ष अदालत ने नेस्ले इंडिया के विरुद्ध राष्ट्रीय उपभोक्ता वाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) में सरकार के मामले में गुरुवार को आगे कार्यवाही करने की इजाजत दे दी है. इस मामले में सरकार ने कथित अनुचित व्यवसाय तरीके अपनाने, झूठी लेबलिंग करने और भ्रामक विज्ञापन चलाने को लेकर 640 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति की मांग की है.
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वहीं, दिग्गज एफएमसीजी कंपनी नेस्ले ने मैगी नूडल केस में शीर्ष अदालत के आदेश का स्वागत किया है. एनसीडीआरसी में दायर की गई अपनी याचिका में मंत्रालय ने आरोप लगाया था कि नेस्ले ने यह दावा कर ग्राहकों को गुमराह किया है कि उसके मैगी नूडल गुणकारी ''टेस्ट भी हेल्दी भी'' है. इस मामले पर न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने बताया है कि इस मामले में केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकीय अनुसंधान संस्थान (सीएफटीआरआई) मैसूर की रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही की जाएगी.
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उल्लेखनीय है कि मैसूर के इसी संस्थान में मैगी के नमूनों की जांच हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में राष्ट्रीय उपभोक्ता वाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) में चल रहे इस केस में कार्यवाही पर 16 दिसंबर 2015 को तब रोक लगा दी थी जब नेस्ले ने इसे अदालत में चुनौती दी थी. न्यायालय ने सी एफटीआरआई मैसूर को निर्देश दिया था कि वह अपनी जांच रिपोर्ट अदालत के समक्ष रखे.
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