नईदिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने लव जिहाद को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। न्यायालय ने कहा कि, हादिया के मामले में किसी तरह की जांच की आवश्यकता नहीं है। न्यायालय ने हादिया के पिता को अपनी पुत्री को 27 नवंबर को न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। गौरतलब है कि केरल हाईकोर्ट ने युवक की शादी को रद्द करते हुए इस मामले की जांच एनआईए को सौंपे जाने की बात कही थी। न्यायालय ने इस मामले को लव जिहाद कहा और निर्णय में बताया कि इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए।
हालांकि मुस्लिम युवक ने दावा किया कि उसने लड़की और उसकी स्वयं की सहमति से विवाह किया है। हादिया के पिता ने इस मामले में आरोप लगाते हुए कहा कि, धर्म परिवर्तन बलपूर्वक हुआ है। ऐसे में यह लव जिहाद का मामला ही है। न्यायालय ने निर्देश देते हुए कहा कि, इस मामले की जांच की जाए, न्यायालय ने इस बात की जांच करने को कहा था कि आखिर क्या इस तरह से शादियां हो रही हैं।
सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया कि उनकी पुत्री का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया गया। उक्त याचिका में कहा गया कि उनकी पुत्री का धर्म परिवर्तित करवाया गया और अफगानिस्तान में आईएसआईएस में उसे शामिल करने हेतु ऐसा किया गया।
एनआईए द्वारा कहा गया कि अखिला उफ हादिया से पूछताछ नहीं हो सकी है। इस तरह के विवाह को जो जबरन हुआ हो वह लव जिहाद की श्रेणी में आता है। हादिया शेफिन उम्र 24 वर्ष का जन्म हिंदू परिवार में हुआ था। जिसका नाम अखिला अशोकन था, उसने मुस्लिम युवक से विवाह किया था, उक्त युवती ने परिवार की अनुमति के बिना विवाह किया था।
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