लोकसभा में स्मृति ईरानी ने उठाया कश्मीरी पंडितों का मुद्दा तो संसद छोड़कर निकले राहुल गाँधी
लोकसभा में स्मृति ईरानी ने उठाया कश्मीरी पंडितों का मुद्दा तो संसद छोड़कर निकले राहुल गाँधी
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नई दिल्ली: लोकसभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के दिए गए संबोधन को लेकर सदन में ही जबरदस्त हंगामा हुआ। राहुल गांधी के तुरंत पश्चात् उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी में हराने वालीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भाषण आरम्भ किया। उन्होंने कहा कि आप हिंदुस्तान नहीं हैं, भारत मेरिट पर भरोसा करता है, वंशवाद पर नहीं। उन्होंने कहा कि पहली बार भारत मां की हत्या की बात तथा कांग्रेस पार्टी यहां पर तालियां बजाती रही। जो भारत की हत्या की बात पर कांग्रेस पार्टी ने ताली पीटी है विपक्षी सदस्यों ने। यहां आज हिंदुस्तानी होने के नाते कहती हूं कि मणिपुर खंडित नहीं है, विभाजित नहीं है, मेरे देश का अंग है। मैं इनसे पूछती हूं, इन्हीं के गठबंधन के एक सदस्य बैठे हैं, जो तमिलनाडु में बोलते हैं कि भारत का मतलब मात्र उत्तर भारत। क्या भारत सिर्फ उत्तर भारत है, अगर दम है तो अपने सहयोगी को मुंहतोड़ जवाब दें।

आगे उन्होंने कहा कि यदि राहुल गांधी में हिम्मत है तो भारत पर इस प्रकार का कटाक्ष करने वाले इस नेता का खंडन करके बताएं। कांग्रेस के एक नेता ने अदालत में जाकर वक्तव्य दे दिया कि कश्मीर में जनमत संग्रह होना चाहिए। यदि हिम्मत है गांधी खानदान में है तो कांग्रेस के उस नेता का वक्तव्य क्यों है। आप भारत नहीं हैं। क्या भारत विभाजित हो, यह कांग्रेस के नेतृत्व के निर्देश के अनुसार है? हमारे राष्ट्र के संसदीय इतिहास में आज तक भारत मां की हत्या की बात करने वाले कभी भी बैठकर मेज नहीं थपथपाते। इन्होंने मेज थपथपाई है। ये बात करते हैं इंसाफ की? यह चेहरा धूमिल है। मैं बताऊं किसका चेहरा है?

वही फिर स्मृति ईरानी ने कश्मीरी पंडितों की दास्तान सुनाने लगी तो राहुल गांधी संसद से चले गए। स्मृति ईरानी ने कहा कि यह चेहरा गिरिजा टिक्कू का है। कश्मीरी पंडितों की दास्तान सुन लीजिए। 90 के दशक में एक महिला यूनिवर्सिटी में अपना चेक लेने जाते हैं। बस से घर लौटने का प्रयास करते हैं। 5 मर्द खींचकर ले जाते हैं, बलात्कार करते हैं और आरी से बदन काट देते हैं। जब गिरिजा टिक्कू के जीवन पर एक फिल्म में दिखाया गया तो कांग्रेस के कुछ प्रवक्ताओं ने उसे प्रपोगैंडा कहा। आप नहीं चाहते कश्मीरी पंडितों की दास्तान सुनाई जाए। सरला बट्ट को भी अगवा कर गैंगरेप किया गया था। ये आप अपने आप को इंसाफ का पुजारी बताते हैं, लेकिन मुझे बताइए कि गिरिजा टिक्कू और सरला बट्ट को कब इंसाफ मिलेगा? तब वहां यह नारा दिया जाता था कि या तो धर्म बदलो, या कश्मीर छोड़ो या यहीं मरो।

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