सुप्रीम कोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान आदेश दिया कि अदालतें पत्नी को साथ रखने के लिए पति को मजबूर नहीं कर सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आदर्श गोयल और यूयू ललित की पीठ ने कहा, हम किसी पति से पत्नी को साथ रखने के लिए ज़बरदस्ती नहीं कर सकते हैं, यह एक मानवीय रिश्ता है.
यह आदेश एक पायलट और उसकी पत्नी के केस में दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के जमानत के आदेश को बहाल किया जो कि पति के समझौते का पालन करने से इनकार करने पर रद्द कर दिया गया था. साथ ही जहां पीठ ने आदेश देते हुए पति को तुरंत छोड़ी गई पत्नी और बच्चे की देखभाल के लिए दस लाख रुपये जमा करने को कहा.
पति के वकील ने अदालत से राशि कम करने के लिए अपील की तो अदालत ने इंकार करते हुए कहा कि दस लाख रुपये जमा करने पर ही जमानत के आदेश बहाल किए इस पर वकील ने अदालत से कुछ मोहलत मांगी. कोर्ट ने उन्हें चार हफ्ते का वक्त दिया, साथ ही कहा कि इस राशि में सुधार किया जा सकता है और पत्नी बिना किसी शर्त के ये पैसे निकाल सकती है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को तीन महीने के अन्दर सुनवाई ख़त्म करने का आदेश दिया.