ऐसे सफल व्यक्ति बने सत्यजीत रे
ऐसे सफल व्यक्ति बने सत्यजीत रे
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भारतीय सिनेमा जगत के युगपुरूष और फिल्मकार जिन्होने अपनी निर्मित फिल्मों के जरिए भारतीय सिनेमा जगत को अंतराष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान दिलाई। भारतीय फिल्म जगत के मशहूर फिल्म निर्माता के तौर पर याद किए जाने वाले सत्यजीत रे की इनका जन्म 2 मई 1921 को कलकत्ता के एक उच्च घराने में हुआ था। सत्यजीत रे को 1992 में उनके उल्लेखनीय कैरियर को देखते हुए आॅस्कर सम्मान से सम्मानित किया गया था। सत्यजीत रे के दादा उपेन्द्र किशोर रे वैज्ञानिक थे, जबकि उनके पिता सुकुमार रे लेखक थे। सत्यजीत रे ने अपनी स्नातक की पढ़ाई कलकत्ता के मशहूर प्रेसीडेंसी काॅलेज से पूरी की। इसके बाद अपनी मां के कहने पर उन्होने रवीन्द्र नाथ टैगोर के शांति निकेतन में दाखिला ले लिया, जहां उन्हे प्रकृति के करीब आने का मौका मिला।

सत्यजीत रे के करियर की शुरूआत: सत्यजीत रे ने अपने करियर की शुरूआत 1943 में ब्रिटिश एडवरटाइजमेंट कंपनी से बतौर जूनियर विजूलायर से की, जहां उन्हे 18 रूपए महीने बतौर पारिश्रमिक मिलते थे। इस बीच वह डी. के गुप्ता की पब्लिकेशन हाउस सिगनेट प्रेस से जुड़ गए और बतोर कवर डिजायनर काम करने लगे। बतौर डिजायनर उन्होने कई पुस्तकों का डिजायन तैयार किया इसमें जवाहर लाल नेहरू की डिस्कवरी आॅफ इंडिया प्रमुख है। इसके बाद 1949 में सत्यजीत रे की मुलाकात फ्रांसीसी निर्देशक जीन रेनोइर से हुई जो उन दिनों अपनी फिल्म द रिवर के लिए शूटिंग लोकेशन की तलाश में कलकत्ता आए थे। जीन रेनोर ने सत्यजीत रे की प्रतिभा का पहचाना और उन्हें फिल्म निर्माण की सलाह दी।

इस फिल्म से मिली सफलता: सत्यजीत रे को 1950 में अपनी कंपनी के काम के कारण लंदन जाने का मौका मिला जहां उन्होने लगभग 99 अंग्रेजी फिल्में देख डाली। इसी दौरान उन्हें एक अंग्रेजी फिल्म बाइसाईकिल देखने का मौका मिला। फिल्म की कहानी से सत्यजीत रे काफी प्रभावित हुए और उन्होने फिल्मकार बनने का निश्चिय कर लिया। फिल्म पाथेर पांचाली के निर्माण की गति धीमी पड़ गयी। बाद में पश्चिम बंगाल की सरकार के सहयोग से फिल्म को पूरा किया जा सका। वर्ष 1955 में प्रदर्शित फिल्म पाथेर पांचाली ने कोलकाता के सिनेमाघर में लगभग 13 सप्ताह हाउसफुल दिखाई गई इस फिल्म को फ्रांस में प्रत्येक वर्ष होने वाली प्रतिष्ठित कांस फिल्म फेस्टिबल में बेस्ट ह्यूमन डाक्यूमेंट का विशेष पुरस्कार भी दिया गया।

जया की शुरूआत: सत्यजीत रे ने अपने दादा की पत्रिका संदेश की एक बार फिर से 1962 को स्थापना की । सत्यजीत रे की पहली रंगीन फिल्म महानगर वर्ष 1963 में प्रदर्शित हुयी। कम लोगों को पता होगा कि जया भीदुड़ी ने इसी फिल्म से अपने सिने कैरियर की शुरूआत की थी। 1966 में सत्यजीत रे की एक और सुपरहिट फिल्म नायक प्रदर्शित हुई। फिल्म में उत्तम कुमार ने अरिन्दम मुखर्जी नामक नायक की भूमिका निभाई।

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