मूवी रिव्यू 'समीर': कोई तो बताए? दंगों से किसी को क्या हासिल होता है...?
मूवी रिव्यू 'समीर': कोई तो बताए? दंगों से किसी को क्या हासिल होता है...?
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निर्देशक-- दक्षिण बजरंगे छारा   
कलाकार--जीशान अयूब, सीमा बिश्वास, अंजिल पाटिल, सुब्रता दत्ता, मनोज यादव, मास्टर शुभम   
रेटिंग--2/5
जॉनर-- थ्रिलर 
अवधि--2 घंटा 9 मिनट

जीशान आयूब ने कमाल की एक्टिंग की है. जीशान को आप पहले फिल्म रांझणा, रईस, ट्यूबलाइट जैसी फिल्मों में साइड रोल करते हुए देख चुके हैं. लीड एक्टर के रूप में ये उनकी पहली फिल्म है. 

कहानी:
फिल्म की शुरुआत कुछ यु होती है कि, हैदराबाद में दंगें होते हैं. हैदराबाद के एक छोटे से इलाके में हुए भीषण बम विस्फोट में करीब चौदह बेगुनाह मारे जाते हैं. शक की सुई यासीन दर्जी नाम के शख्स पर घूमती है. एटीएस उसे ढूंढते हुए लड़कों के हॉस्टल पहुंचती है. वहां यासीन तो नहीं मिलता लेकिन उसका रूममेट समीर मेनन (जीशान आयूब) पुलिस के हत्थे चढ़ जाता है. पूछताछ में पता चलता है वह बेकसूर है. समीर कुछ दिन पहले ही यासीन के कमरे में शिफ्ट हुआ था.

पुलिस यासीन को ढूंढने के लिए समीर का मोहरे की तरह इस्तेमाल करती है. उसे यासीन के घर भेजकर उसकी मां से ज्यादा मेलजोल बढ़ाने को कहा जाता है. ऑफिसर, समीर को धमकी देता है अगर समीर यासीन को नहीं ढूंढता तो तू बकरा बनेगा और मैं कसाई. वहीं, आतंकी अपने हर हमले से पहले जर्नलिस्ट आलिया (अंजलि पाटील) को मैसेज कर देते हैं.

एक के बाद एक खुलासे होते चले जाते हैं. कहानी तेजी से चलती है और थ्रिल बनाए रखती है, लेकिन फिल्म का अंत तो वाकई हैरान कर देने वाला होता है. इससे ज्यादा कहानी बताकर हम आपका मजा किरकिरा नहीं करेंगे. लेकिन कहानी जानदार है, शानदार है, मजेदार है इतना तो कहे बिना हम मानेंगे भी नहीं. 

निर्देशन: 
आपको बता दे की फिल्म के निर्देशक की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने बॉक्स ऑफिस का मोह त्याग कर 'समीर' को एक ऐसी फिल्म बनाकर पेश किया जो अंत तक अपने ट्रैक पर चलती है. फिल्म की कहानी इंटरवल से पहले सौ फीसदी ट्रैक पर तेज रफ्तार से चलती है तो क्लाइमैक्स कुछ ज्यादा ही जल्दी में निपटा दिया गया. फिल्म में गाने तो हैं, लेकिन यह फिल्म की गति को धीमा करने के अलावा और कुछ नहीं करते.

स्टारकास्ट की परफॉर्मेंस:

जीशान आयूब ने कमाल की एक्टिंग की है. जीशान को आप पहले फिल्म रांझणा, रईस, ट्यूबलाइट जैसी फिल्मों में साइड रोल करते हुए देख चुके हैं. लीड एक्टर के रूप में ये उनकी पहली फिल्म है. इसमें कोई दोराय नहीं की जीशान के अभिनय में गहराई है. हमेशा की तरह इस फिल्म में भी उनका अभिनय गहरा असर छोड़ता है. अंजलि पाटील ने जर्नलिस्ट का किरदार निभाया है. वह बेखौफ होकर सिस्टम से लड़ती हैं. नैचुलर अभिनय है. फिल्म में रॉकेट नाम का बच्चे का अच्छा अभिनय है. हकलाती जुबान में उसकी एक-एक बात इंसानियत को झकझोर कर रख देती है.  

देखें या नहीं:
'समीर' दर्शकों की उस क्लास के लिए मस्ट वॉच मूवी है जो चालू मसालों से दूर कुछ अलग और ऐसी फिल्म देखने के लिए थिअटर जाते हैं जिसमें समाज का आईना नजर आता हो. एंटरटेनमेंट और टाइम पास के लिए फिल्म देखने जा रहे हैं तो 'समीर' आपकी कसौटी पर खरी नहीं उतर पाएगी.

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