चेन्नई: वैज्ञानिकों के एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2100 तक दक्षिण चेन्नई तट पर तिररुवनमियुर से अड्यार नदी के तट तक का भाग समुद्र में समा सकता है। आज जहां तक समुद्री तट है वहां से लगभग 40 मीटर भीतर तक समुद्र का पानी आ सकता है। यह भविष्यवाणी अन्ना यूनिवर्सिटी और नैशनल वॉटर सेंटर, यूएई यूनिवर्सिटी के अध्ययनकर्ताओं ने की है।
शोध के अनुसार, इससे समुद्री खारे जल के भूगर्भीय जल से मिलने का खतरा पैदा होगा। इसका प्रभाव जमीन के नीचे मौजूद जलभंडार या एक्वीफर पर भी दिखाई देगा। ये जलभंडार तेजी से बढ़ती जनसँख्या द्वारा भूगर्भीय पानी के बेरोकटोक शोषण के कारण पहले ही खतरे में हैं। इस एक्वीफर पर समुद्र जल स्तर में इजाफा और लहरों के प्रभाव के असर को जानने के लिए 35 वर्ग किमी के क्षेत्र का अध्ययन किया गया। इससे पूर्व में बंगाल की खाड़ी, उत्तर में अड्यार नदी, पश्चिमी हिस्से में बकिंघम कैनाल और दक्षिण में मुत्तुकाडू बैकवॉटर स्थित हैं। इस अध्ययन के लिए विभिन्न जगहों पर 30 बोरवैल किए गए। यह क्षेत्र चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है और यहां समुद्री पानी के आने का जोखिम बहुत अधिक है।
गत 50 सालों के लिए, हिमालय के ग्लेशियर पिघलने के कारण बंगाल की खाड़ी में एक साल में समुद्र तल में 3.6 मिमी इजाफा दर्ज किया गया है। बंगाल की खाड़ी के जलस्तर में इजाफा अन्य एशियाई क्षेत्रों की तुलना में ज्यादा दिखाई देती है। इस शोध ने 2007 की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि, 'समुद्री जल स्तर में एक मीटर की वृद्धि तटीय क्षेत्रों के अधिकतम 60 किमी में पानी भर सकती है।'
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