सीता का हरण होने से बचाने पहुंचे जटायु, हुए घायल
सीता का हरण होने से बचाने पहुंचे जटायु, हुए घायल
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अब तक रामायण में दिखाया गया था कि सीता हरण के लिए मारीच के साथ  रावण पंचवटी पहुंचता है. वहीं अब जानिए 26 मई के एपिसोड में क्या हुआ.मारीच और रावण रथ पर बैठकर पंचवटी आते हैं और मारीच एक हिरण का रूप धारण कर सीता के पास जाता है, उस हिरण को देखकर सीता बहुत खुश होती है और राम-लक्ष्मण के पास आकर कहती है कि उन्हें वो हिरण चाहिए. इसके साथ ही तभी राम, सीता के लिए उस हिरण को पकड़ने जाते हैं, श्रीराम उस हिरण का पीछा करते हैं और उधर रावण छुपकर ये सारा दृश्य देख रहा होता है और साथ ही सीता को भी रावण छुपकर देखता है.जैसे ही राम उस हिरण पर बाण चलाते हैं, मारीच अपने असली रूप में आ जाता है और जोर-जोर से लक्ष्मण और सीता को पुकारने लगता है और कुछ ही समय में अपने प्राण त्याग देता है.एक तरफ सीता ये आवाजें सुनकर चिंतित हो जाती हैं उन्हें लगता है कि उन्हें राम ने पुकारा है परंतु लक्ष्मण को यकीन है कि उन्हें राम ने नहीं पुकारा है. 

इसके साथ ही सीता ये मानने को तैयार नहीं होतीं, सीता को लगता है कि उसके पति राम मुश्किल में हैं और सीता जिद्द करती हैं लक्ष्मण से कि वो राम की रक्षा करने के लिए जाए. लक्ष्मण अपने भाई राम की आज्ञा का पालन कर रहे हैं, वो सीता को अकेला छोड़कर नहीं जाना चाहते, परंतु क्रोध में सीता लक्ष्मण को कायर कहती है और राम के पास जाने को कहती है.वहीं ऐसे में लक्ष्मण विवश हो जाते हैं और भाभी सीता की बात मान लेते हैं. परंतु भाभी सीता के लिए वो लक्ष्मण रेखा खींचकर जाते हैं और सीता माता से कहते हैं कि किसी भी हाल में राम भैय्या के आने तक वो ये लक्ष्मण रेखा को पार ना करें क्योंकि कोई राक्षस इस लक्ष्मण रेखा को पार नहीं कर पाएगा और अगर करेगा तो जलकर भस्म हो जाएगा.जैसे ही रावण लक्ष्मण को अपने भाई राम की मदद के लिए जाता देखता है वो अपना रूप बदल लेता है और साधु के भेष में रावण, सीता की कुटिया में उससे भिक्षा मांगने आता है.

आपकी जानकारी के लिए साधु के भेष में रावण, देवी सीता से भोजन मांगता है साथ ही विश्राम करने के लिए भी कहता है परंतु सीता उसे कुटिया के अंदर आने से मना कर देती है और भोजन लेने अंदर चली जाती है, मौके का फायदा उठाते हुए रावण कुटिया के अंदर जाने की कोशिश करता है परंतु लक्ष्मण रेखा की वजह से वो अंदर प्रवेश नहीं कर पाता और वृक्ष के नीचे जाकर बैठ जाता है, देवी सीता मुनिराज के लिए भोजन लाती है, परन्तु देवी सीता को याद है कि उसे लक्ष्मण रेखा पार नहीं करनी है इसलिए वो साधु को वहां आकर भोजन लेने को कहती है. इसके साथ ही सीता, साधु को ये भी बताती है कि वो ये लक्ष्मण रेखा नहीं पार कर सकती, इस बात को सुनकर साधु के रूप में रावण क्रोधित हो जाता है और श्राप देने की बात करता है.

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