आगरा-पिनाहट: भले ही सरकारे किसानों के उन्नति के लिए नयी नयी योजनाओं और उचित मूल्य दिलाने का दावा ढोकती है। लेकिन असल में किसानों को कभी सूखे की मार तो कभी मौसम की मार और कभी कसल में रोग से हर वर्ष जूझना पडता है इस बार भी क्षेत्र के आलू किसान कसल की कम पैदावार और मददी के चलते खून के ऑसू रो रहे है।
पिछली साल की अपेक्षा इस वर्ष आलू की कसल आधे से भी कम हुई है। और उपर से कोई खरीदने को तैयार नही है। वहीं गर्मी की मार के चलते किसान अब खेतों में कसल भी नही रख सकता। ऐसे में बडी मुश्किल सामने आयी है।
वैसे कोल्ड स्टोर में रखने के लिए कोल्ड स्वामी किसानों को वारदाना और कुछ पैसे मुहैया कराते थे लेकिन इस बार मददी के चलते न तो कोल्ड स्वामी पैसा दे रहे है न वारदाना। और मंडियों की हालत दो सों रूपये पैकिट बिक रहा है।
ऐसे में किसानों की लागत भी नही निकल पा रही है। लाखों की लागत लगाकर बोई गयी आलू की कसल अब लागत निकालने के लिए भी जददोहद करनी पड रही है। क्षेत्र में किसान आलू की इस बेकदरी से बहुत परेशान है। पूर्व में भी आलू किसान मददी के चलते आत्म हत्या कर चुके है।
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