भारत, अफगानिस्तान संबंधों से चिंतित पाकिस्तान
भारत, अफगानिस्तान संबंधों से चिंतित पाकिस्तान
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संयुक्त राष्ट्र : अफगानिस्तान ने 2015 को 2001 के बाद का सबसे रक्तरंजित साल बताते हुए पाकिस्तान पर आरोप लगाया है कि वह अफगानिस्तान और भारत के संबंधों से चिंतित है और इसी कारण बेचैनी में हिंसक प्रतिनिधियों के रूप में आतंकवादियों को छोड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि महमूद सैकल ने सोमवार को महासभा में अफगानिस्तान पर चर्चा के दौरान पाकिस्तान पर यह आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, तालिबान और अन्य आतंकवादी समूहों को बाहरी समर्थन की मुख्य वजह क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता है। एक देश की अपने प्रतिद्वंद्वी पर बिना वजह की बेचैनी और शंका है, जो अफगानिस्तान से संबंधों को लेकर है, ऐसे संबंध जो सामान्य प्रकृति के हैं।

महमूद ने कहा, इसका नतीजा एक ऐसी अवांछित नीति के रूप में सामने आ रहा है, जिसमें राजनैतिक मकसद को हासिल करने के लिए हिंसक प्रतिनिधियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसकी वजह से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्ते में विश्वास का खासा संकट पैदा हुआ है और यह आतंक के लिए आक्सीजन का काम कर रहा है। सख्त भाषा में कही गईं इन बातों में भारत का नाम नहीं लिया गया है, लेकिन एक देश अपने प्रतिद्वंदी के अफगानिस्तान से सामान्य रिश्तों को लेकर बेचैन है जैसी बात से साफ हो गया कि यहां सामान्य संबंधों से आशय आफगानिस्तान और भारत के संबंधों से है।

यह शायद पहली बार है कि अफगानिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान के तालिबान और आतंकवाद से संबंध का मुद्दा उठाया है। महमूद ने कहा, हम पाकिस्तान से अपील करते हैं कि दूसरे देशों के साथ तनाव के चश्मे का इस्तेमाल करने के बजाए अफगानिस्तान से सीधे द्विपक्षीय संवाद करे। पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने कहा कि यह जरूरी है कि अफगानिस्तान की तरफ से होने वाली पाकिस्तान विरोधी बयानबाजी रोकी जाए।

महमूद ने इस बात का जिक्र किया कि किस तरह 'विदेशी षडयंत्रकारियों' ने कुंदुज पर आतंकियों के कब्जे को संभव बनाया था। उन्होंने कहा कि तालिबान, हक्कानी गुट, हिकमतयार गुट, इस्लामिक स्टेट (आईएस), अल कायदा के खिलाफ कार्रवाई में पाकिस्तान ने साथ नहीं दिया और इनमें से कई पाकिस्तान के जरिए अफगानिस्तान तक पहुंचे। उन्होंने पाकिस्तान सीमा, डूरंड लाइन, पर पाकिस्तानी सैनिकों की गोलाबारी का भी उल्लेख किया, जिसमें आम नागरिक भी मारे जा रहे हैं।

पाकिस्तानी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने कहा कि उनका देश अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया में मददगार बनना चाहता है। उन्होंने चेताया कि अफगानिस्तान में आईएस की जड़ें पुख्ता हो सकती हैं। लोधी ने कहा कि अफगान सरकार में ही शांति प्रक्रिया पर एक राय नहीं है। लोधी ने कहा कि अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी अभियान में साथ नहीं दिया। पाकिस्तानी कार्रवाई से बचकर आतंकवादी अफगानिस्तान भाग गए और वे वहीं से पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मियों पर हमले कर रहे हैं।

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