स्वीडन में कुरान जलाने को NATO चीफ ने बताया अभिव्यक्ति की आज़ादी, बोले- ये अवैध नहीं...
स्वीडन में कुरान जलाने को NATO चीफ ने बताया अभिव्यक्ति की आज़ादी, बोले- ये अवैध नहीं...
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वाशिंगटन: उत्तरी अमेरिका और यूरोपीय देशों के एक सैन्य संगठन, उत्तर अटालांटिक संधि संगठन (North Atlantic Treaty Orgnization or NATO) के चीफ जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम की सबसे बड़ी मस्जिद के सामने मुस्लिमों की पवित्र किताब कुरान जलाए जाने की घटना पर प्रतिक्रया दी है। उन्होंने कहा है कि ये अपमानजनक और आपत्तिजनक तो है, मगर अवैध नहीं है। जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने इस बीच स्वीडन को NATO में शामिल किए जाने को लेकर समझौते की भी वकालत की। बता दें कि ‘NATO’ 31 देशों का एक सैन्य गठबंधन है, जिसमें 29 यूरोपीय देशों के साथ ही नॉर्थ अमेरिका के 2 देश भी शामिल हैं। स्वीडन भी इसमें शामिल होना चाहता है, मगर इस्लामी मुल्क तुर्की बार-बार वीटो लगा कर NATO में उसकी एंट्री को रोक देता है। 

 

दरअसल, तुर्की दावा करता है कि कुर्द विद्रोहियों को स्वीडन का संरक्षण हासिल है और कुर्दों को तुर्की आतंकी मानता है। वहीं, अमेरिका ने भी इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह स्वीडन में कुरान जलाए जाने की निंदा करता है। मगर, साथ में उसने ये भी कहा है कि इस विरोध प्रदर्शन के लिए अनुमति जारी करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के समर्थन में था और इसका अर्थ ये नहीं है कि इस कृत्य को बढ़ावा दिया गया। उधर, NATO चीफ ने अपने बयान में कहा है कि वो इस घटना को पसंद नहीं कर रहे हैं, मगर वो असहमति के अधिकार का बचाव कर रहे हैं। हालाँकि, तुर्की के राष्ट्रपति रचिप तय्यिप एर्दोआँ का कहना है कि कुरान जलाने वाले भी उतने ही गुनहगार हैं, जितना कि इसकी इजाजत देने वाले। अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता मैट मिलर ने कहा कि इस विरोध प्रदर्शन ने एक डर के माहौल को जन्म दिया है, जो मुसलमानों के खुल कर अपने मजहब को मानने के अधिकार को दबाता है। इसके साथ ही उन्होंने अन्य अल्पसंख्यक समुदायों को लेकर भी डर प्रकट किया है।

 

बता दें कि कुरान जलाने वाले शख्स पर स्वीडन की पुलिस ने मामला भी दर्ज किया है। इस घटना के बाद उस पर एक समुदाय विशेष के खिलाफ उत्तेजना फैलाने का इल्जाम लगाया गया। रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद स्वीडन ने NATO की सदस्यता के लिए हाथ बढ़ाया था, मगर तुर्की ने इसमें अड़ंगा डाल दिया। हालाँकि, अभी भी अमेरिका ने कहा है कि स्वीडन को NATO में शामिल होना चाहिए।

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