'राजनीति नहीं राष्ट्रनीति..', पीएम मोदी ने बताया 2014 में क्यों नहीं लाए श्वेतपत्र ?
'राजनीति नहीं राष्ट्रनीति..', पीएम मोदी ने बताया 2014 में क्यों नहीं लाए श्वेतपत्र ?
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (9 फ़रवरी) को कहा कि, ''मैं 2014 में श्वेत पत्र ला सकता था। अगर मुझे अपनी राजनीतिक आकांक्षाएं पूरी करनी होती, तो मैं (2014 में) भारत के सामने ये आंकड़े पेश करता। यह मेरे लिए राजनीतिक तौर पर अनुकूल होता, मगर राष्ट्रनीति मुझे ऐसा करने की अनुमति नहीं देती।" पीएम मोदी ने कहा कि, ''अगर मुझे अपना राजनीतिक स्वार्थ पूरा करना होता तो मैं इसे (श्वेत पत्र) 2014 में ही ले आता। जो चीजें मेरे सामने सामने आईं, उससे मैं हैरान रह गया। आर्थिक हालत बदतर थी, अगर मैं ये बातें बता देता तो, देश का सारा भरोसा खत्म हो जाता, लोग सोचते कि बचने का कोई रास्ता नहीं होगा।''

पीएम मोदी ने कहा कि, ''मैंने राजनीति का रास्ता छोड़ दिया और राष्ट्रनीति का रास्ता चुना।'' उल्लेखनीय है कि, श्वेत पत्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार के 10 साल के आर्थिक प्रबंधन की तुलना मोदी सरकार के 10 सालों की गई है। इसमें विस्तार से बताया गया है कि, कांग्रेस ने अपने 10 सालों में देश के लिए क्या किया था और मोदी सरकार ने इतने ही समय में देश के लिए क्या किया। मोदी सरकार ने गुरुवार को संसद में ये श्वेतपत्र पेश किया। पीएम मोदी ने कहा कि, "इस साल के वैश्विक व्यापार शिखर सम्मेलन का विषय विघटन विकास और विविधीकरण है। आज के युग में, ये शब्द सबसे ज्यादा चर्चा में हैं, यह भारत का समय है। पूरी दुनिया का भारत पर विश्वास दिन-ब-दिन बढ़ रहा है, दावोस में भी, भारत के लिए काफी उत्साह देखा जा सकता है।"

पीएम मोदी ने कहा कि, ''विशेषज्ञ समूहों के बीच चर्चा है कि भारत 10 साल में बदल गया है। इससे पता चलता है कि दुनिया भारत पर कितना विश्वास करती है। भारत को लेकर सकारात्मक भावना है। यह वह समय है जब हमारी विकास दर लगातार बढ़ रही है' और राजकोषीय घाटा कम हो रहा है। यह वह समय है जब हमारा निर्यात बढ़ रहा है और चालू खाता घाटा कम हो रहा है, मुद्रास्फीति नियंत्रण में है।' उन्होंने कहा कि, "आप हमारी समग्र नीति में कुछ पहले सिद्धांत देखेंगे - वे हैं स्थिरता, निरंतरता और निरंतरता। यह बजट इन सिद्धांतों का विस्तार था।"

पीएम मोदी ने कहा कि, "हमने चार मुख्य कारकों के बीच संतुलन स्थापित किया है - पूंजीगत व्यय के रूप में रिकॉर्ड उत्पादक खर्च, कल्याणकारी योजनाओं में अभूतपूर्व निवेश, फिजूलखर्ची पर नियंत्रण और वित्तीय अनुशासन। आज लोग पूछते हैं कि हमने इन चारों क्षेत्रों में लक्ष्य कैसे हासिल किए। एक मुख्य कारकों में 'बचाया गया पैसा ही कमाया हुआ पैसा है' की मात्रा रही है।" उन्होंने कहा कि, "हमारा शासन मॉडल एक साथ दो धाराओं पर आगे बढ़ रहा है। एक तरफ, हम 20वीं सदी से विरासत में मिली चुनौतियों का समाधान कर रहे हैं। दूसरी तरफ, हम 21वीं सदी की आकांक्षाओं को पूरा करने में भी लगे हुए हैं। हमने बड़ी चुनौतियों का सामना किया और बड़े लक्ष्य हासिल किये।"

उन्होंने आगे कहा कि, "मैं जाने से पहले आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित करना चाहता हूं। मैं उस राजनीति से दूर हूं जहां चार अतिरिक्त वोटों के लिए खजाना खाली हो जाता है। इसलिए हमने अपने फैसलों में वित्त प्रबंधन को सबसे ज्यादा महत्व दिया। बिजली के प्रति कुछ दलों का दृष्टिकोण ऐसा है कि इससे देश की बिजली व्यवस्था तबाह हो सकती है। मेरा दृष्टिकोण अलग है।" उन्होंने आगे कहा कि "सालों तक गरीबी हटाने के फॉर्मूले लाने की बहस एसी कमरों में होती थी। गरीब गरीब ही रहा, लेकिन 2014 के बाद जब एक गरीब का बेटा प्रधानमंत्री बना तो गरीबी के नाम पर जो उद्योग चल रहा था, वह चरमरा गया। मैं गरीबी से यहां तक पहुंचा हूं और इसलिए मुझे पता है कि गरीबी से कैसे लड़ना है, पिछले 10 साल में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं।'' पीएम मोदी ने एक बार फिर दोहराया कि, "हमारे तीसरे कार्यकाल में भारत अर्थव्यवस्था के मामले में तीसरे स्थान पर आ जाएगा, तीसरे कार्यकाल में और भी बड़े फैसले होंगे।"

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