सरकार द्वारा देश में लॉकडाउन का फैसला लिया गया. सरकार ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए यह कदम उठाया है. इसके बाद से ही पूरे देश में प्रवासी मजदूरों के पलायन का दौर शुरू हो गया है. मजदूर पैदल ही घरों की तरफ बढ़ रहे हैं, इस कारण उनके बच्चों के लिए खतरा पैदा हो रहा है. वहीं, इसे देखते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने शनिवार को प्रवासी परिवारों के साथ रहने वाले बच्चों और सड़कों पर रहने वाले बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के बारे में परामर्श जारी किया है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए पूरे देश में 21 दिनों का लॉकडाउन लागू है. जिसका सबसे ज्यादा असर मजदूरों पर पड़ा है. उनके सामने न केवल खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया बल्कि उन्हें कमाई का भी कोई जरिया नहीं दिख रहा है.
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मुख्य तौर पर इन्ही कारणों से वह अपने-अपने गांवों की ओर पलायन कर रहे हैं. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से लोग पैदल ही गांवों की तरफ जा रहे हैं. इसी बीच महाराष्ट्र और कर्नाटक में पलायन करने वाले कुछ लोग हादसे का शिकार हो गए हैं. तीन हादसों में अबतक 12 लोगों की मौत हो गई है. महाराष्ट्र के वापी और करामबेली स्टेशन पर दो महिलाएं तेज रफ्तार मालगाड़ी से टकरा गईं. पश्चिमी रेलवे ने कहा कि आज सुबह घटना के वक्त दोनों ट्रैक क्रॉस करने की कोशिश कर रही थीं. पश्चिमी रेलवे ने कहा, 'लोगों को रेलवे पटरियों से दूर रहना चाहिए और उन्हे पार या उनपर चलना नहीं चाहिए क्योंकि देश के विभिन्न हिस्सों में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए माल गाड़ियों को अब भी चलाया जा रहा है.'
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