नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण की जांच की रणनीति बदल दी है. नई रणनीति के मुताबिक, अब Hotspot या क्लस्टर इलाकों या फिर विस्थापित केंद्रों पर ऐसे लोगों की कोरोना वायरस की जांच की जाएगी जिनमें बुखार, खांसी, खरास या फिर नाक बहने के इन्फ्लूएंजा के लक्षण पाए जाएंगे. ये जांच बीमारी के सात दिन के भीतर और बीमारी के सात दिन बाद कराई जाएगी.
अब तक सांस की गम्भीर बीमारी से पीड़ित, सांस लेने में तकलीफ और बुखार खांसी वाले अस्पतालों में एडमिट मरीजों की कोरोना जांच की जा रही थी. ऐसे लोगों की जांच हो रही थी, जिन्होंने पिछले 14 दिनों में अंतरराष्ट्रीय यात्रा की है और उनमें पहले लक्षण नहीं दिखे और बाद में सामने आने लगे. इनके अलावा संक्रमित शख्स के संपर्क में आने वाले ऐसे सभी लोग जिनमें लक्षण पाए गए, उनकी भी जांच की जा रही थी. इनके अलावा ऐसे सभी स्वास्थ्यकर्मियों की भी जांच की जा रही थी, जिनमें लक्षण सामने आए हैं.
आपको बता दें कि कोरोना वायरस को लेकर खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. पूरे देश में कोरोना के मामलों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. अब तक देश में कोरोना मरीजों की संख्या 6 ,412 हो गई है, जबकि अबतक 199 लोगों की जान जा चुकी है. 504 लोग इस वायरस की चपेट से बाहर आ चुके हैं.
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