'बलात्कारियों की अब खैर नहीं .', मध्य प्रदेश में अपराधियों पर लागू होगी 'सख्त' नई नीति
'बलात्कारियों की अब खैर नहीं .', मध्य प्रदेश में अपराधियों पर लागू होगी 'सख्त' नई नीति
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भोपाल: मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में गत दिवस मंत्रालय में विभिन्न अधिनियमों में उम्रकैद से दंडित बंदियों की रिहाई की अवधि की प्रस्तावित नीति -2022 पर चर्चा हुई। बता दें कि राज्य में वर्ष 2012 की नीति लागू है। वर्तमान में राज्य के 131 जेलों में 12 हजार से ज्यादा बंदी उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। आजीवन कारावास की सजा प्राप्त बंदियों के संबंध में जो नई नीति बनाई गई है, उसमें जघन्य अपराधियों को कोई राहत नहीं मिलेगी। आतंकी गतिविधियों और नाबालिगों के साथ दुष्कर्म के अपराधियों का कारावास 14 वर्ष में खत्म नहीं होगा। सूबे में ऐसे अपराधियों को अंतिम साँस तक कारावास में ही रहने की नीति तैयार की गई है।

ऐसे अपराधियों में विभिन्न अधिनियम में आतंकी गतिविधियों में लिप्त पाए गए दोषी, नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी, सामूहिक दुष्कर्म के दोषियों, जहरीली शराब बनाने, विदेशी मुद्रा से संबंधित अपराधों, दो या दो से ज्यादा मामलों में हत्या के दोषी को अब अंतिम साँस तक जेल में रहना होगा। शासकीय सेवकों की सेवा के दौरान हत्या का अपराध करने वाले दोषी भी शामिल होंगे। इसी प्रकार राज्य के खिलाफ अपराध और सेना के किसी भी अंग से संबंधित अपराध घटित करने वाले अपराधी भी किसी छूट का फायदा नहीं ले सकेंगे। इन सभी के लिए नई नीति लागू नहीं होगी। इन अपराधों में उम्रकैद से दंडित बंदियों को अब जेल में ही आखिरी सांस तक रहना होगा।

उम्रकैद से दंडित धारा 376 के दोषी कैदी भी 20 वर्ष का वास्तविक कारावास और परिहार समेत 25 वर्ष पूर्ण करने से पहले जेल से रिहा नहीं हो पाएंगे। जिन आजीवन कारावास के बंदियों को 14 वर्ष या 20 वर्ष की वास्तविक सजा के बाद रिहाई की पात्रता बनेगी, वह भी तभी रिहा होंगे, जब कलेक्टर, एसपी और जिला प्रोसीक्यूशन आफिसर की सिफारिश होगी और जेल मुख्यालय द्वारा उक्त अनुशंसा के आधार पर राज्य सरकार को भेजा जाएगा और जिसमें राज्य सरकार की मंजूरी जरूरी होगी। पूर्व में लागू वर्ष 2012 की नीति में वर्ष में दो बार आजीवन कारावास काट रहे कैदियों के रिहाई की नीति के मुताबिक और जिला स्तरीय समिति की अनुशंसानुसार जेल हेडक्वॉर्टर द्वारा कार्यवाही की जाती थी। अब वर्ष में चार बार 15 अगस्त, 26 जनवरी, 14 अप्रैल और 2 अक्टूबर को नवीन नीति के प्रावधान और जिला स्तरीय समिति एवं जेल मुख्यालय की सिफारिश पर राज्य सरकार की इजाजत से की जाएगी।

दुष्कर्म के दोषियों के साथ कोई छूट नहीं:-

सीएम चौहान ने कहा कि उम्रकैद के ऐसे कैदी जो अच्छे व्यवहार, आचरण आदि के कारण वक़्त पूर्व रिहाई का लाभ लेते हैं, वे अलग श्रेणी के हैं और आतंकी, बलात्कारी बिल्कुल अलग श्रेणी के अपराधी हैं। दुष्कर्म के मामलों में किसी भी स्थिति में बंदियों को समय पूर्व रिहाई का फायदा नहीं मिलना चाहिए। ऐसे अपराधी समाज विरोधी हैं। कारावास में रिहाई का अर्थ केवल सदव्यवहार और आगे अपराध मुक्त जीवन का संकेत देने वाले अपराधियों पर ही लागू हो सकता है। एक बार इस प्रकार का गंभीर अपराध करने वाले आगे ऐसा अपराध नहीं करेंगे, इसकी गारंटी कौन लेगा। सीएम बोले कि जागरूकता अभियान से दुष्कर्म के मामलों में कमी लाने के लिए एक कार्य-योजना पर भी अमल किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने निर्देश दिए कि कम उम्र की बालिकाओं के साथ यौन अपराध करने वाले अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा के मौजूदा प्रावधानों को सख्ती के साथ बनाए रखना जरूरी है।

बता दें कि दस राज्यों की नीतियों के अध्ययन के बाद यह प्रस्तावित नीति बनाई गई है। इसके लिए अपर मुख्य सचिव गृह के नेतृत्व में तीन सदस्यीय समिति गठित की गई थी। समिति के दो अन्य सदस्यों में प्रमुख सचिव, विधि और महानिदेशक जेल शामिल थे। उन्होंने निर्देश दिए कि एंटी गैम्‍बलिंग एक्ट (ऑन लाइन गैम्बलिंग के खिलाफ प्रावधान के साथ), पब्लिक सैफ्टी एक्ट और गैंगस्टर एक्ट के प्रस्ताव शीघ्र तैयार कर प्रस्तुत किए जाएँ, जिससे इन्हें राज्य में लागू करने की दिशा में कार्यवाही जल्द हो सके।  

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