कानूनी पेंच में घिरा गांधी परिवार ! नेशनल हेराल्ड की 751 करोड़ रुपये की संपत्ति मामले में आया बड़ा फैसला
कानूनी पेंच में घिरा गांधी परिवार ! नेशनल हेराल्ड की 751 करोड़ रुपये की संपत्ति मामले में आया बड़ा फैसला
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नई दिल्ली: मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत निर्णायक प्राधिकरण ने व्यापक सुनवाई के बाद, एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) और यंग इंडिया लिमिटेड (YIL) से जुड़े एक हाई-प्रोफाइल मनी लॉन्ड्रिंग मामले के संबंध में 751.9 करोड़ रुपये की संपत्ति की अनंतिम कुर्की आदेश को बरकरार रखा है। इसी मामले के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी से पूछताछ की थी। दोनों कांग्रेस नेताओं के पास यंग इंडिया (YIL) के 76 प्रतिशत शेयर थे। अब इस फैसले के बाद माना जा रहा है कि, एजेंसियां राहुल और सोनिया से वापस पूछताछ कर सकती है। हालाँकि, दोनों कांग्रेस नेता अब तक पूछताछ में यही कहते रहते हैं कि, उन्हें इस लेनदेन के बारे में कुछ नहीं पता, ये काम मोतीलाल वोहरा का है, जो उस समय कांग्रेस के कोषाध्यक्ष थे, मगर, 2020 में ही वोरा का निधन हो चुका है। बता दें कि, नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्डरिंग मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी जमानत पर जेल से बाहर हैं। 

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पिछले साल PMLA, 2002 के तहत एक जांच के हिस्से के रूप में 751.9 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियों को अस्थायी रूप से संलग्न करने का आदेश जारी करते हुए कार्यवाही शुरू की थी। जांच में कथित तौर पर AJL और YIL से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं के एक जटिल जाल का पता चला। निष्कर्षों के अनुसार, एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के पास दिल्ली, मुंबई और लखनऊ सहित देश के कई शहरों में अचल संपत्तियों के रूप में 661.69 करोड़ रुपये की अपराध आय पाई गई। इसके अतिरिक्त, यंग इंडियन (YIL) को एजेएल में इक्विटी शेयरों के रूप में कुल 90.21 करोड़ रुपये की अपराध आय रखने का पता चला।

26 जून 2014 को दर्ज एक निजी शिकायत के बाद दिल्ली में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत द्वारा जारी एक अदालती आदेश के आधार पर ED की जांच शुरू की गई थी। अदालत ने आरोपों में योग्यता पाई और फैसला सुनाया कि यंग इंडिया सहित सात आरोपी व्यक्तियों ने प्रथम दृष्टया आपराधिक विश्वासघात, धोखाधड़ी, संपत्ति का दुरुपयोग और आपराधिक साजिश सहित विभिन्न अपराध किए। जांच के दौरान यह पता चला कि आरोपियों ने एक विशेष प्रयोजन वाहन, यंग इंडियन के माध्यम से एजेएल की मूल्यवान संपत्तियों को हासिल करने के लिए एक आपराधिक साजिश रची, जो मूल रूप से समाचार पत्र प्रकाशन उद्देश्यों के लिए रखी गई थी। एजेएल, जिसे समाचार पत्र प्रकाशन के लिए रियायती दरों पर भूमि आवंटित की गई थी, ने 2008 में अपना प्रकाशन कार्य बंद कर दिया और संपत्तियों का उपयोग वाणिज्यिक उद्यमों के लिए करना शुरू कर दिया।

इसके अलावा, यह पाया गया कि एजेएल पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) का 90.21 करोड़ रुपये का पर्याप्त ऋण बकाया था। हालाँकि, AICC ने कथित तौर पर ऋण को गैर-वसूली योग्य माना और इस भुगतान को करने के लिए पर्याप्त धन की कमी के बावजूद, इसे 50 लाख रुपये की मामूली राशि के लिए एक नव स्थापित इकाई, यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) को बेच दिया। इसके बाद, YIL ने ऋण के पुनर्भुगतान या AJL में इक्विटी शेयर जारी करने की मांग की। AJL ने एक असाधारण आम बैठक में अपनी शेयर पूंजी बढ़ाने और YIL को 90.21 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी करने का संकल्प लिया। नतीजतन, 1,000 से अधिक शेयरधारकों की शेयरधारिता को घटाकर मात्र 1% कर दिया गया, जिससे AJL प्रभावी रूप से YI की सहायक कंपनी बन गई और YI को अपनी परिसंपत्तियों पर नियंत्रण प्रदान कर दिया गया। ED की जांच ने निष्कर्ष निकाला कि इन कार्रवाइयों ने न केवल AJL के शेयरधारकों को बल्कि कांग्रेस पार्टी के दानदाताओं को भी धोखा दिया, जिससे एक जटिल वित्तीय धोखाधड़ी योजना का खुलासा हुआ।

क्या है नेशनल हेराल्ड केस?

भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में ट्रायल कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए आरोप लगाया था कि कुछ कांग्रेसी नेताओं ने गलत तरीके से यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) के माध्यम से एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड का अधिग्रहण किया है। उन्होंने आरोप कजाते हुए कहा था कि यह सब कुछ दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस की 2000 करोड़ रुपये की ईमारत पर कब्जा करने के लिए किया गया था। साजिश के तहत यंग इंडियन लिमिटेड को AJL की संपत्ति का अधिकार दिया गया है। 

बता दें कि प्रथम पीएम जवाहर लाल नेहरू ने स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर 1938 में नेशनल हेराल्ड की स्थापना थी। एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड (AJL) नेशनल हेराल्ड अखबार की मालिकाना कंपनी है। जिसके बाद कांग्रेस ने 26 फरवरी 2011 को इसकी 90 करोड़ रुपये की देनदारियों को अपने जिम्मे ले लिया था। इसका सीधा मतलब ये हुआ कि कांग्रेस ने इसे 90 करोड़ का कर्ज दिया था।  इसके बाद 5 लाख रुपये से यंग इंडियन कंपनी स्थापित की गई, जिसमें सोनिया और राहुल की 38-38 फीसदी साझेदारी है। बाकी की 24 फीसदी साझेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज (दोनों अब मृतक) के पास थी। 

इसके बाद AJL के 10-10 रुपये के नौ करोड़ शेयर 'यंग इंडियन ' को दे दिए गए और इसके बदले यंग इंडियन को कांग्रेस के कर्ज का भुगतान करना था। 9 करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन को इस कंपनी के 99 फीसदी शेयर प्राप्त हो गए। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ का कर्ज भी माफ कर दिया। यानी 'यंग इंडियन' को फ्री में AJL का स्वामित्व मिल गया। 

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