जानिए 'आदिपुरुष' के डायलॉग बदलने के फैसले पर क्या बोले मनोज मुंतशिर?
जानिए 'आदिपुरुष' के डायलॉग बदलने के फैसले पर क्या बोले मनोज मुंतशिर?
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प्रभास (Prabhas), कृति सेनॉन (Kriti Sanon) और सैफ अली खान (Saif Ali Khan) स्टारर फिल्म 'आदिपुरुष' (Adipurush) बॉक्स ऑफिस पर 16 जून को रिलीज की जा चुकी है। लेकिन रिलीज होते ही मूवी को लेकर बड़ा विवाद शुरू होने लग गया है। दरअसल 'आदिपुरुष' में किरदारों के लुक से लेकर उनके डायलॉग्स और ग्राफिक्स को लेकर भी दर्शकों का गुस्सा भी देखने के लिए मिला है। फिल्म में डायलॉग मनोज मुंतशिर ने लिखे हैं। उन्हें ट्रोल किया जाने लगा। साथ ही डायरेक्टर ओम राउत भी निशाने पर आए। इस पर मनोज निरंतर अपना पक्ष रख रहे है। 

वही डायलॉग बदलने पर मनोज ने कहा, 'फिल्म में सिर्फ 5 डायलॉग हैं। एक फिल्म 4000 हजार डायलॉग से मिलकर बनती है। यदि 5 डायलॉग को पसंद नहीं किया गया तो 3995 डायलॉग को पसंद भी किया गया है। 4000 में से 5 बदलने से कुछ नहीं होगा। जो आपत्तिजनक शब्द हैं, जिनसे जनता को दिक्कत है हम बस उन्हें बदल देंगे। 3995 डायलॉग्स को जनता से अपना प्यार दिया है। देखिए मैं एक बात आपको बताऊं कितने लोग और फ़िल्मकार इस देश में हैं जिनके अंदर इतनी हिम्मत हो कि एक थिएटर में पहुंची हुई फिल्म को केवल इसलिए कि जनता के कुछ ऑब्जेक्शन आ गए कि उनकी बात सुनी जाए। 10 हजार के आसपास स्क्रीन्स पर हमारी फिल्म रिलीज हुई है। इसे दोबारा सेंसर कर रिलीज करना आसान बात नहीं है लेकिन हम ये मुश्किल इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि हमें हमारे देश की जनता का सम्मान है। उनकी हर बात हमारे लिए बहुत महत्वपूर्व है। हमारी लिए एक आवाज भी कीमती है। हमारे लिए एक भी सनातनी, एक भी हिंदू, एक भी राम भक्त, अगर कहता है कि नहीं पसंद आया। तो हम उसकी सुनेंगे। यदि वो बोलता है कि डायलॉग बदलो तो बदलेंगे। जो करना हो हम करेंगे।'

मनोज मुंतशिर से पूछा गया कि 'आदिपुरुष' के डायलॉग बदलने का फैसला क्या उन्होंने विवाद के कारण लिया है? इसपर उन्होंने कहा, 'एक घर में जब कोई विवाद होता है तो कैसा होता है। विवाद में सब अपना-अपना पक्ष रखते हैं। समझदारी इसी में है कि पक्ष को सुनकर, जिसका पक्ष सशक्त लगे उसकी बात मान ली जाए तथा दूसरे लोग पीछे हटकर पूरी विनम्रता के साथ स्वीकार कर लें कि मैं कुछ और सोच रहा था, किन्तु आप ऐसा कहते हैं तो आपकी बात में ज्यादा दम है। आपकी बात मान लेता हूं। ऐसे ही समाज में बातचीत होती है। पहले आप अपनी बात कहते हैं तथा फिर दूसरे की सुनते हैं। और देखें जब कोई किसी तर्क से अधिक किसी रिश्ते को महत्व देता है, वो तर्क हार जाता है। मेरे लिए तर्क मायने नहीं रखते हैं। मेरे लिए बड़ी चीज ये है कि आपको पीड़ा नहीं होनी चाहिए। मैं अपने तर्कों को शांत करता हूं। मेरे लिए आपको भावनाओं का सम्मान है।'

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