उड़ान को तैयार चंद्रयान-3, दोपहर 2:35 बजे होगी लॉन्चिंग, 40 दिन में तय करेगा 3.84 लाख किमी का सफर
उड़ान को तैयार चंद्रयान-3, दोपहर 2:35 बजे होगी लॉन्चिंग, 40 दिन में तय करेगा 3.84 लाख किमी का सफर
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नई दिल्ली: ISRO के महत्वकांक्षी मिशन Chandrayaan-3 की लॉन्चिंग के लिए काउंटडाउन शुरू हो चुका है. चंद्रयान-3 आज यानी शुक्रवार (14 जुलाई) की दोपहर 2:35 बजे चंद्रमा के लिए उड़ान भरेगा. 615 करोड़ की लागत से तैयार किया गया ये मिशन लगभग 40 दिन की यात्रा के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंडिंग करेगा. लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड 2 से होगी. इसको चंद्रमा पर भेजने के लिए LVM-3 लॉन्चर का उपयोग किया जा रहा है. 

बता दें कि, चंद्रयान-3 मिशन साल 2019 में लॉन्च किए गए चंद्रयान-2 मिशन का फॉलोअप मिशन है. इसमें लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग और रोवर को सतह पर चलाकर देखा जाएगा. हालांकि लैंडर को चांद की सतह पर लैंड कराना ही सबसे कठिन काम है. 2019 में चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिंग के कारण मिशन विफल हो गया था. चंद्रयान-3 के लैंडर के थ्रस्टर्स में परिवर्तन किया गया है. सेंसर्स अधिक संवेदनशील लगाए गए हैं. लैंडिंग के वक़्त वैज्ञानिकों की सांसें थमी रहेंगी.

दरअसल, चंद्रयान-3 में इस बार ऑर्बिटर को साथ नहीं भेजा जा रहा है. इस बार स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल भेज रहे हैं. यह लैंडर और रोवर को चंद्रमा की कक्षा तक लेकर जाएगा. इसके बाद यह चंद्रमा के चारों ओर 100 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में चक्कर लगाता रहेगा. इसे ऑर्बिटर इसलिए नहीं कहते, क्योंकि यह चंद्रमा का अध्ययन नहीं करेगा. इसका वजन 2145.01 किलोग्राम होगा, जिसमें 1696.39 किलोग्राम ईंधन होगा. यानी मॉड्यूल का वास्तविक वजन 448.62 किलोग्राम है.  

चंद्रयान-2 से कैसे अलग है चंद्रयान-3 मिशन?

बता दें कि, चंद्रयान-2 में लैंडर, रोवर और ऑर्बिटर था, जबकि चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर की जगह स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल को शामिल किया गया है. हालांकि, आवश्यकता पड़ने पर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की सहायता ली जाएगी. प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रयान-3 के लैंडर-रोवर को चंद्रमा की सतह पर छोड़कर, चांद की कक्षा में 100 किलोमीटर ऊपर चक्कर काटता रहेगा. यह कम्यूनिकेशन के लिए है.

क्या है चंद्रयान-3 का उद्देश्य ?

बता दें कि ISRO वैज्ञानिक पूरे विश्व को यह बताना चाहते हैं कि भारत दूसरे ग्रह पर सॉफ्ट लैंडिंग करा सकता है और वहां अपना रोवर चला सकता है. चांद की सतह, वायुमंडल और भूमि के अंदर होने वाली हलचलों का पता करना चंद्रयान-3 का उद्देश्य है. इसके लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल में कुल मिलाकर 6 पेलोड्स भेजे जा रहे हैं. पेलोड्स यानी ऐसे यंत्र जो किसी भी प्रकार की जांच कर सकते हैं. लैंडर में रंभा-एलपी (Rambha LP), चास्टे (ChaSTE) और इल्सा (ILSA) लगा हुआ है. रोवर में एपीएक्सएस (APXS) और लिब्स (LIBS) लगा है. प्रोपल्शन मॉड्यूल में एक पेलोड्स शेप (SHAPE) लगा है.

चंद्रयान को कौन सा रॉकेट लेकर जाएगा? 

बता दें कि, चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के लिए इसरो LVM-3 लॉन्चर यानी रॉकेट का उपयोग कर रहा है. यह भारी सैटेलाइट्स को भी अंतरिक्ष में लॉन्च किया सकता है. यह 43.5 मीटर यानी करीब 143 फीट ऊंचा है और 642 टन वजनी है. यह LVM-3 रॉकेट की चौथी उड़ान होगी. यह चंद्रयान-3 को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में लॉन्च करेगा.  यानी यह  कि 170x36500 किलोमीटर वाली अंडाकार कक्षा में. इससे पहले इसे GSLV-MK3 कहते थे. जिसके 6 सफल लॉन्च हो चुके हैं.

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