कोच्ची: केरल उच्च न्यायालय ने गुरुवार (29 सितंबर) को कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) नेताओं के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य में हड़ताल में हुए नुकसान के बदले 5 करोड़ रुपए हर्जाना भरने का आदेश दिया है। PFI नेताओं को 2 सप्ताह के भीतर यह राशि जमा करनी होगी। अदालत ने PFI को लताड़ लगाते हुए कहा कि इस प्रकार आम नागरिकों की जिंदगी को खतरे में नहीं डाला जा सकता।
बता दें कि, PFI ने अपने नेताओं की गिरफ्तारी और छापेमारी की NIA की कार्रवाई के विरोध में 23 सितंबर को राज्य में हड़ताल की घोषणा की थी। जस्टिस एके जयशंकरन नांबियार और जस्टिस मोहम्मद नियास सीपी की अदालत ने हड़ताल की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि सूबे में इस प्रकार नागरिकों के जीवन को जोखिम में नहीं डाला जा सकता। अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट है कि यदि कोई ऐसा करता है, तो उसको इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
अदालत ने कहा कि आप प्रदर्शन कर सकते हैं और संविधान भी इसकी अनुमति देता है, किन्तु अचानक हड़ताल नहीं कर सकते। अदालत ने वर्ष 2019 में एक आदेश में कहा था कि यदि कोई 7 दिनों की सार्वजिनक सूचना की प्रक्रिया के बगैर किसी हड़ताल का आह्वान करता है, तो उसके असंवैधानिक माना जाएगा। अदालत ने यह भी कहा था कि ऐसी हड़ताल का आह्वान करने वाले व्यक्ति या सियासी दल को इसके प्रतिकूल नतीजों का भी सामना करना पड़ेगा।
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