इसरो के नाम दर्ज होगी एक और बड़ी उपलब्धि
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चेन्नई : श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से आज भारतीय स्पेस एजेंसी ‘इसरो’ मौसम संबंधित सैटेलाइट इनसेट-3 DR लांच करेगी. इनसेट-3 DR को ले के जाने वाले 'जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हिकल' की ये दसवी उड़ान होगी. ये उड़ान ‘जीएसएलवी-एफ05’ कहलाएगी.

इसरो ने पहले ही अपने स्वदेशी इंजन के से लैस लॉन्च व्हिकल की घोषणा कर दी थी लेकिन फिर ये इसरो की चिंता का विषय बना हुआ है क्योंकि  जीएसएलवी तीन स्टेज वाला लांच व्हिकल है और क्रायोनिक इंजन को अंतिम दौर में उपयोग किया जाना है. इनसेट-3 डीआर 2,211 किग्रा वजनी है जिसे स्वदेशी रूप से विकसित क्रायोजेनिक इंजन अपर स्टेज (सीयूएस) वाले जीएसएलवी-एफ 05 यान के द्वारा चौथी बार उड़ान में सवार किया जाएगा.

इसरो ने अपने ऑफिसियल वेबसाइट पर इसकी जानकारी देते हुए बताया जीएसएलवी-एफ05 की उड़ान हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सीयूएस स्वेदेशी इंजन से लैस जीएसएलवी की पहली परिचालन उड़ान है. भारतीय स्पेस एजेंसी के वैज्ञानिक ने बताया, "जब हम नया रॉकेट बनाते हैं, तो हम इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि यह उचित रूप से काम करेगा या नहीं. इस बात से निश्चिंत हो जाने के बाद हम इसके लांचिंग की तारीख तय करते हैं."

आगे बताते हुए वैज्ञानिक ने कहा- "सैटेलाइट को जियोस्टेशनरी ट्रांसफर ऑर्बिट में जीएसएलवी-एफ05 पहुचायेगा जिसके बाद सैटेलाइट खुद अपने इंधन का उपयोग कर अपने अंतिम जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में जाएगा."

जानकारी देते हुए उन्होंने आगे बताया कि- इस उड़ान कि सबसे बड़ी विशेषता है उसका क्रायोजेनिक इंजन. इंधन के रूप में क्रायोजेनिक इंजन में लिक्विड हाइड्रोजन का उपयोग होता है और लिक्विड ऑक्सीजन का ऑक्सीडाइजर के तौर पर. ऑक्सीडाइजर इंधन का खपत करने में मदद करती है. लिक्विड के रूप में उपयोगी किया जाने वाला यह ईंधन रॉकेट इंजन की तुलना में बेहतर होती है.

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