ऐसा मत सोचिए कि गर्भपात (abortion) पर बात करना गलत बात होती है क्योंकि हमारे समाज में इस विषय को भी एक टैबू की तरह देखा जा रहा है। क्या आप चाहेंगे कि आपकी पत्नी कभी भी अपनी जान को ताक पर रखकर आपको बच्चे का सुख दे? क्या आप कभी भी चाहेंगे कि आपकी बेटी या बहन अपने ससुराल वालों की वजह से अपने स्वास्थ्य को दरकिनार करते हुए बच्चे को जन्म दे? क्या कोई भी माता-पिता जिनकी बेटी दुर्भाग्यवश रेप का शिकार हो चुकी हो, कभी नहीं चाहेंगे कि उनकी बेटी उस बच्चे को पाले या क्या वो लड़की खुद कभी इस स्थिति को झेल सकती है? हां, इन सभी परिस्थितियों में निर्णय लेने का अधिकार भले ही औरत और उसके परिवार का हो लेकिन हम इस बात से भली भांति परिचित हैं कि शायद गर्भपात को पाप समझकर आपकी बेटी, बहन या पत्नी गर्भपात कभी ना कराए या वो चाहें भी तो कोई उसे रोक दिया जाए। इसलिए हम सभी को इस गंभीर विषय को गंभीरता से ही समझना होगा और इस कानून का सही पाठ पढ़ना पड़ेगा।
एक बात जिसे आप सभी को ध्यान में रखना चाहिए कि भारत में गर्भपात को कानूनी मान्यता प्राप्त होना जरुरी हो। इंडिया में गर्भपात यानि अबॉर्शन को लेकर ऐसी कई बातें हैं जिनकी सही जानकारी होना बहुत आवश्यक है। सभी लोगों को, चाहे वह आदमी हो या औरत इन्हें समझ लेना चाहिए कि कानून किन-किन परिस्थितियों में आपको गर्भपात की मंज़ूरी देता है।
सुरक्षित गर्भपात सबसे ज़रूरी: गर्भपात के 2 तरीके हैं जो सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाते हैं एक तो गोली के माध्यम से और दूसरा सर्जरी के माध्यम से। अगर कम वक़्त के गर्भ को खत्म करना हो तो उसके लिए अधिकतर गोली का ही इस्तेमाल भी किया जाता है। लेकिन अगर सर्जरी के माध्यम से गर्भपात कराया जा रहा है तो ध्यान रहें कि किसी अच्छे डॉक्टर की देख-रेख में ही यह सुनिश्चित होना जरुरी है। हममें से अधिकतर लोगों को लगता है कि गर्भपात भविष्य में आपकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित करना है। तो यह ध्यान रखिए कि ऐसा नहीं होता। इसलिए ऐसी कोई भी शंका या भ्रम से खुद को सतर्क रखने के लिए प्रशिक्षित डॉक्टरों की ही सहायता जरूर लें। गर्भपात एक औरत को भावनात्मक रूप से अवश्य ही प्रभावित करता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप खुद की जान ले रहे है।
भारत में होने वाले दो तिहाई गर्भपात अवैध: खबरों का कहना है कि वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (WHO) के कुछ आंकड़ों के मुताबिक इंडिया में होने वाले दो तिहाई गर्भपात अवैध और असुरक्षित तरीकों से या तो घर में किये जाते हैं या फ़िर गैर-कानूनी रूप से चल रहे दवाखानों में गैर पेशेवर लोगों के द्वारा। यही वजह है कि भारत में गर्भपात के दौरान हर साल 4600 महिलाओं की मौत हो जाती है (हर दो घंटे में एक महिला की मौत) और कई औरतों को ज़िंदगी भर के लिए स्वास्थ्य संबंधी दुष्परिणाम झेलने पड़ते हैं। यह हालात उस देश में हैं जहां गर्भपात ना केवल वैध है बल्कि सरकारी अस्पतालों में आसानी से यह अच्छे डॉक्टर्स की देख-रेख में किया जाता है।
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