12 अगस्त को ISRO लॉन्च करेगा ऐसा सैटेलाइट, जिसकी नज़र से नहीं बच पाएंगे दुश्मन और आपदाएं
12 अगस्त को ISRO लॉन्च करेगा ऐसा सैटेलाइट, जिसकी नज़र से नहीं बच पाएंगे दुश्मन और आपदाएं
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ISRO इस वर्ष की तीसरी तिमाही में ऐसा सैटेलाइट लॉन्च करने वाला है जो देश के जमीनी विकास और आपदा प्रबंधन के लिए मददगार सिद्ध होने वाली है. ये सैटेलाइट सीमा की सुरक्षा के लिए कार्य करेगा. ये एक अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट है जो सिर्फ और सिर्फ इंडिया की जमीन और उसके सीमाओं पर अंतरिक्ष से नजर रखने वाला है.  इस जियो-इमेजिंग सैटेलाइट का नाम है EOS-3/GISAT-1 (Earth Observation Satellite-3/Geosynchronous Satellite Launch Vehicle F10). विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी मंत्रालय के राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में बोला कि  इस सैटेलाइट की लॉन्चिंग 2021 की तीसरी तिमाही में किया जाने वाला है. डॉ. जितेंद्र सिंह ने  कहा कि यह प्राकृतिक आपदाओं और मौसम संबंधी रियल टाइम सूचना प्रदान करेगा. यह पूरे देश पर दिनभर में 4 से 5 बार फोटोज लेने के लिए बना है. जिसके अतिरिक्त यह सैटेलाइट जलीय स्रोतों, फसलों, जंगलों में बदलाव आदि की भी पूरी सूचना प्रदान करेगा. हालांकि, इसरो सूत्रों के हवाले से इस सैटेलाइट की लॉन्चिंग 12 अगस्त या उसके आसपास हो सकती है.  

हम बता दें कि EOS-3/GISAT-1 की लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा द्वीप पर स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से की जानें वाली है. लॉन्चिंग के लिए GSLV-MK2 रॉकेट का इस्तेमाल किया जाने वाला है. रॉकेट EOS-3/GISAT-1 सैटेलाइट को जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में स्थापित करने वाला है. जहां पर ये 36 हजार किलोमीटर की ऊंचाई पर धरती का चक्कर लगाता रहेगा. लॉन्चिंग मौसम या तकनीकी बाधा आने पर टाली भी जा सकती है. GSLV-MK2 रॉकेट से पहली बार ओजाइव शेप्ड पेलोड फेयरिंग (OPLF) सैटेलाइट को छोड़ा जाएगा. यानी EOS-3/GISAT-1 सैटेलाइट OPLF कैटेगरी में शामिल है. जिसका यह अर्थ है कि सैटेलाइट 4 मीटर व्यास के मेहराब जैसा नज़र आने वाला है. इसरो सूत्रों की माने तो ये स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन से लैस रॉकेट की आठवीं उड़ान होगी. जबकि GSLV रॉकेट की 14वीं उड़ान.  

मिली जानकारी के अनुसार लॉन्च के 19 मिनट के भीतर EOS-3/GISAT-1 सैटेलाइट अपने निर्धारित कक्षा में तैनात किया जाने वाला है. इस सैटेलाइट की खास बात हैं इसके कैमरे. इस सैटेलाइट में 3 कैमरे लगे हैं. प्रथम मल्टी स्पेक्ट्रल विजिबल एंड नीयर-इंफ्रारेड (6 बैंड्स), दूसरा हाइपर-स्पेक्ट्रल विजिबल एंड नीयर-इंफ्रारेड (158 बैंड्स) और तीसरा हाइपर-स्पेक्ट्रल शॉर्ट वेव-इंफ्रारेड (256 बैंड्स). प्रथम कैमरे का रेजोल्यूशन 42 मीटर, दूसरे का 318 मीटर और तीसरे का 191 मीटर. यानी इस आकृति की वस्तु इस कैमरे में आसानी से कैप्चर की जा सकती है.

विजिबल कैमरा यानी दिन में कान करने वाला कैमरा जो नार्मल फोटोज को कैप्चर करेगा. जिसके अतिरिक्त इसमें इंफ्रारेड कैमरा भी लगा है. जो रात में तस्वीरें लेने वाला है. यानी भारत की सीमा पर किसी तरह की गतिविधि हुई तो EOS-3/GISAT-1 सैटेलाइट के कैमरों की नजर से नहीं बच सकती है. ये किसी भी मौसम में फोटोज लेने के लिए सक्षम है. जिसके अतिरिक्त इस सैटेलाइट की सहायता से आपदा प्रबंधन, अचानक हुई कोई भी घटना पर नजर रख सकता है. साथ ही साथ कृषि, जंगल, मिनरेलॉजी, आपदा से पहले जानकारी  देना, क्लाउड प्रॉपर्टीज, बर्फ और ग्लेशियर सहित समुद्र की निगरानी करना भी इस सैटेलाइट का कार्य है.

सूत्रों की माने तो वर्ष साल 1979 से लेकर अब तक 37 अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट्स छोड़े गए. इनमें से दो लॉन्च के समय ही फेल हो गए थे. इसरो पहले इसकी लॉन्चिंग 5 मार्च को करने वाला था पर कुछ तकनीकी कारणों से इस टाल दिया गया. फिर खबर आई कि ये सैटेलाइट 28 मार्च को लॉन्च किया जा सकता है लेकिन इसे फिर टालकर 16 अप्रैल कर दिया गया है. लेकिन उस समय भी लॉन्चिंग नहीं हो पाई.

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