जमीन से आसमान तक 'आत्मनिर्भर' होता भारत.., बढ़ती ताकत देख थर्रा रहे दुश्मन
जमीन से आसमान तक 'आत्मनिर्भर' होता भारत.., बढ़ती ताकत देख थर्रा रहे दुश्मन
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नई दिल्ली : भारत सुरक्षा के क्षेत्र में अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए धीरे-धीरे आत्मनिर्भरता की ओर लगातार आगे बढ़ रहा है। आधुनिक हथियारों से लेकर तोप, ड्रोन और फाइटर जेट के साथ-साथ खुद ही अपने उपकरण बनाने में लगा है। 2 सितंबर को स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत INS Vikrant को नौसेना को समर्पित कर दिया गया, जो मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत  के विकास का स्वर्णिम पल रहा। आज हम इस बात पर गर्व कर सकते हैं कि हमारा भारत मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर अभियान के शानदार तरीके से सफलताओं का आसमान छू रहा है।

इस बार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हर कोई भारत में बनी एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम वाली तोप को देखकर हैरान था। रक्षा के क्षेत्र में जो भारत पहले सिर्फ आयात कर रहा था, अब दूसरे देशों को निर्यात करने की स्थिति में है।

नौसेना को मिला INS विक्रांत
 
भारत लगातार मेड इन इंडिया अभियान के तहत हथियारों से लेकर बड़े-बड़े युद्धपोत बना रहा है। 2 सितंबर को समंदर का बाहुबली INS 'विक्रांत' भारतीय नौसेना में शामिल हो गया है। ये स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत देश की एक नई ताकत और ऊर्जा प्रदान करेगा। इस विशाल Aircraft के माध्यम से समुद्री सरहद में जल से लेकर नभ तक प्रहरी का काम किया जा रहा है। स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत के साथ ही भारत उन देशों के समूह में शामिल हो गया है, जिसके पास इस तरह के बड़े और आधुनिक सुविधाओं से लैस युद्धपोत बनाने की क्षमता है। कोचीन शिपयार्ड की तरफ से INS Vikrant को बनाया गया है। इस युद्धपोत को इंडियन नेवी के इन-हाउस डायरेक्टरेट ऑफ नेवल (DND) ने डिजाइन किया है।

आसमान से 'तेजस' की दहाड़

भारत में बने हल्के लड़ाकू विमान तेजस का पूरी दुनिया में बोलबाला है। तेजस का एक नया वर्जन भी जल्द आने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने तेजस मार्क-2 को प्रोटोटाइप, उड़ान परीक्षण और प्रमाणन के साथ 6,500 करोड़ रुपये से अधिक के मूल्य के साथ विकसित करने की मेगा प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी। इसके अलावा सरकार ने पांचवी पीढ़ी स्टील्थ टेक्नोलॉजी को भी हरी झंडी दिखा दी है। तेजस के एडवांस्ड वर्जन में अधिक ताकतवर इंजान लगाया जाएगा। तेजस-1 का वजन 14.5 टन था, लेकिन अब इसके वजन को बढ़ाकर 17.5 टन किया जाएगा। तेजस मार्क -2 की क्षमता 4.5 टन पेलोड ले जाने में की होगा। जबकि इससे पहले तेजस मार्क-1 में 3.5 टन की अधिकतम पेलोड ले जाने की क्षमता थी।
मल्टी रोल ड्रोन के विकास में लगा भारत

तेस को खरीदने में कई विदेशी कंपनी अपनी दिलचस्पी दिखा चुकी है, जिनमें अमेरिका का नाम भी शामिल है। अमेरिका को दुनिया सबसे ताकतवर देश मानती है, वो भी भारत के स्वदेशी फाइटर जेट तेजस में दिलचस्पी दिखा रहा है। अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और फिलीपींस ने भी भारत के हल्के लड़ाकू विमान तेजस में दिलचस्पी दिखाई है। भारत एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) चीन के साथ लगती सीमाओं पर निगरानी के लिए AI संचालित मल्टी रोल ड्रोन (Drone) को भी जल्द से जल्द विकसित करने के प्रयास में जुटा है। ऐसा माना जा रहा है कि, ये ड्रोन दुश्मन के खतरों से निपटने में काफी हद तक मददगार साबित होंगे।

स्वेदश में विकसित ATAGS तोप 

दिल्ली में लाल किले पर इस बार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भारत में बनी एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम वाली तोप देखकर हर भारतीय को गर्व महसूस हो रहा था। 21 तोपों की सलामी हर साल ब्रिटिश निर्मित तोपों के जरिए दी जाती थी, लेकिन पहली बार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर स्वदेशी तोपों के जरिए सलामी दी ग। इसे DRDO द्वारा निर्मित किया गया है। पीएम मोदी ने भी कहा था कि आजादी के बाद 75 वर्षों में पहली बार, तिरंगे को दी जाने वाली 21 तोपों की सलामी में मेड-इन-इंडिया आर्टिलरी गन का इस्तेमाल किया गया। सभी भारतीय इस ध्वनि से प्रेरित होंगे। इस तोप को DRDO की पुणे स्थित सुविधा आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान में निर्मित किया गया था। ATAGS परियोजना को डीआरडीओ ने 2013 में भारतीय सेना में पुरानी तोपों को आधुनिक 155 मिमी आर्टिलरी गन से बदलने के लिए शुरू किया था।

एफ-इंसास और एके-203 राइफल

भारत दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दे सके इसके लिए सेना को स्वदेश निर्मित अत्याधुनिक हथियार दिए जा रहे हैं। इसी कड़ी में अभी अगस्त महीने में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय सेना को एफ-इंसास, एके-203 राइफल, एंटी पर्सनल माइन, बोट और ड्रोन समेत कई स्वदेशी हथियार सौंपे थे। AK 203 काफी हल्की और बेहद खतरनाक है। इसकी इफेक्टिव रेंज 300 मीटर बताई जाती है।  इसकी मैग्जीन में 30 बुलेट आएंगी।

ब्रह्मोस हाइपर सोनिक मिसाइल-2

भारत और रूस ब्रह्मोस-2 के नए वेरिएंट यानी ब्रह्मोस-2 सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के निर्माण में तेजी से जुट गए हैं। इस मिसाइल में रूस के सबसे घातक जिरकॉन (Zircon) मिसाइल की तकनीक का भी इस्तेमाल हो सकता है। ब्रह्मोस मिसाइल को भारत और रूस दोनों ने मिलकर संयुक्त रूप से निर्माण किया है। रेंज के मामले में ये मिसाइल अलग-अलग वेरिएंट में उपलब्ध है। इसकी रेंज 300-700 किमी तक है। हाइपरसोनिक वेरिएंट को भारत और रूस मिलकर निर्मित कर रहे हैं। इस एडवांस्ड वर्जन को रूस के रिसर्च एंड प्रोडक्शन एसोसिएशन ऑफ मशीन बिल्डिंग और भारत के DRDO साथ मिलकर विकसित करने में लगे हुए हैं। ऐसी जानकारी सामने आ रही है कि इसमें कुछ समय लग सकता है। 

भारत का अब निर्यात पर भी जोर

दुनिया की सबसे घातक और तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस (BrahMos 2 Hypersonic Missile) उत्तर प्रदेश में भी बनाने की योजना है। हम हथियारों को बनाने के साथ-साथ इनके निर्यात पर भी अधिक जोर दे रहे हैं। अभी हाल ही में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल की 3 बैट्री की खरीद के लिए 30.75 करोड़ डॉलर के सौदे पर मुहर लगाने के कुछ महीने बाद फिलीपींस अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाने के लिए भारत से एडवांस्ड हल्के हेलीकॉप्टर खरीदने पर विचार कर रहा है। देश में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी विदेशी नौसेना का जहाज रिपेयर के लिए चेन्नई पहुंचा। अमेरिकन नेवी ने एक डील के जरिए अपने यूएसएनए चार्ल्स ड्रियू जहाज को रिपेयर करने के लिए चेन्नई के कट्टूपल्ली स्थित एलएंडटी कंपनी के शिपयार्ड भेजा। इन गतिविधियों से मेक इन इंडिया अभियान को बड़ा बूस्ट मिलने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है।

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