'CM योगी से बुलडोज़र किराए पर ले लो..', बंगाल में अवैध निर्माण और गुंडागर्दी पर सख्त हुआ कोलकाता हाई कोर्ट
'CM योगी से बुलडोज़र किराए पर ले लो..', बंगाल में अवैध निर्माण और गुंडागर्दी पर सख्त हुआ कोलकाता हाई कोर्ट
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कोलकाता: कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने भर्ती भ्रष्टाचार के बाद अवैध निर्माण पर कड़ा रुख अपनाते हुए गुंडों-बदमाशों के खिलाफ सख्त संदेश दिया है. शुक्रवार (28 जुलाई) को मानिकतला थाना क्षेत्र में अवैध निर्माण से संबंधित मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय की पीठ में हुई. जस्टिस गंगोपाध्याय ने मामले की सुनवाई के दौरान अवैध निर्माण के खिलाफ यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का भाषण भी सुना और कहा कि कोलकाता नगर निगम (KMC) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बुलडोजर किराए पर ले सकता है.

दरअसल, कोलकाता में एक अवैध निर्माण पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने यह सख्त सन्देश देकर राज्य की ममता बनर्जी सरकार को आइना दिखाने की कोशिश की है. जस्टिस गंगोपाध्याय ने यह टिप्पणी उस समय की है, जब कोलकाता नगर निगम (KMC) के वकील अपने क्षेत्राधिकार में एक गैर-कानूनी निर्माण के संबंध में अपना पक्ष रख रहे थे. जस्टिस गंगोपाध्याय ने कोलकाता नगर पालिका के वकील से कहा कि, ‘यदि आवश्यक हो, तो योगी आदित्यनाथ से कुछ बुलडोजर किराए पर लें.’

वहीं, न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने इस मामले में मानिकतला थाने को शामिल कर उसे भी पार्टी बनाने के लिए कहा है. बता दें कि, उत्तर प्रदेश में विभिन्न अवैध निर्माणों को जमींदोज़ करने की योगी सरकार की नीति ने एक मिसाल कायम की है. हालांकि, इसको लेकर विपक्षी दल योगी सरकार पर आरोप भी लगाते रहते हैं. गुंडागर्दी के खिलाफ सख्त संदेश देते हुए जस्टिस गंगोपाध्याय ने कोलकाता पुलिस की गुंडा विरोधी विंग की तारीफ भी की. सुनवाई के दौरान जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा कि, ‘किसी भी तरह की गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी, मैं जानता हूं कि गुंडों को किस तरह अनुशासित किया जाता है, कोलकाता पुलिस की गुंडा विरोधी शाखा के अधिकारी भी यह अच्छी तरह जानते हैं कि गुंडों पर कैसे लगाम लगाई जाए’। 

जस्टिस गंगोपाध्याय ने पुलिस और कोलकाता नगर पालिका (KMC) पर महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि, ‘मैं पुलिस और नगर पालिका के सम्बन्ध में कुछ नहीं कहूंगा. मैं जानता हूं कि उन्हें कितने बाहरी दबाव के साथ अपनी ड्यूटी करनी पड़ती है.’ हालांकि, अदालत ने शुक्रवार को इस मामले में कोई फैसला नहीं सुनाया. अगली सुनवाई आगामी चार अगस्त को तय की गई है. बता दें कि, जस्टिस गांगुली ने कई अहम मामलों में त्वरित फ़ैसले दिए हैं और उन्होंने ही पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच CBI को सौंपी थी.

क्या है पूरा मामला:-

बता दें कि, 2021 में कोलकाता के मानिकतला मेन रोड की रहने वाली रानू पाल ने कलकत्ता हाई कोर्ट में अवैध निर्माण को लेकर केस दाखिल किया था। उनके अनुसार, एक पड़ोसी ने पुश्तैनी मकान पर कब्जा कर गैर कानूनी निर्माण कर लिया है। पड़ोसी ने घर की मरम्मत के लिए कलकत्ता नगर पालिका में आवेदन किया और बताया कि, अवैध रूप से पड़ोसी इमारत के लिए सड़क का निर्माण कर दिया। नगर पालिका से शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

वादी के वकील कमलेश भट्टाचार्य ने कहा कि यह मामला पहली दफा 2018 में उच्च न्यायालय में दाखिल किया गया था। इसके बाद जस्टिस देवांशु बसाक ने ढांचे को ध्वस्त करने का आदेश दिया। उस वक़्त नगर पालिका ने अवैध निर्माण को आंशिक रूप से जमींदोज़ कर दिया था। तब जाकर मामला भी निपट गया। मगर, 6 महीने बाद, पड़ोसी परिवार ने फिर से निर्माण आरंभ कर दिया। मानिकतला पुलिस स्टेशन में बार-बार शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। आरोप है कि पुलिस ने FIR दर्ज नहीं की। वकील ने यह भी आरोप लगाते हुए कहा कि उनके क्लाइंट को परेशान किया गया।

2021 में उच्च न्यायालय में एक नया केस दाखिल किया गया। मामला न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की पीठ में सुनवाई के लिए आया। उसी साल 26 जून को जस्टिस गंगोपाध्याय ने पूरी इमारत को ढहाने का आदेश दिया, उसके एक हिस्से को नहीं। उन्होंने अदालत के आदेश पर पड़ोसी पर धोखाधड़ी के इल्जाम में 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। इस आदेश को चुनौती देते हुए परिवार ने डिवीजन बेंच का दरवाजा खटखटाया। जस्टिस अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने जुर्माने की राशि कम करने के एकल पीठ के आदेश को यथावत रखा।

इस बार भी पड़ोसी परिवार और मानिकतला पुलिस स्टेशन ने कोर्ट के आदेश को लागू नहीं किया, अभियोजक ने कोर्ट की अवमानना ​​​​का मामला दाखिल किया। इससे पहले पड़ोसी परिवार के 3 सदस्यों के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​का केस दर्ज किया गया था। शुक्रवार को न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने मानिकतला थाने को भी मामले में शामिल करने और कोर्ट की अवमानना ​​का केस दर्ज करने का आदेश दिया। कार्रवाई न होने पर ही जस्टिस गंगोपाध्याय ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि, योगी सरकार से बुलडोज़र किराए पर ले लो। जस्टिस का ये बयान ममता बनर्जी को आइना दिखाने वाला भी है, जहाँ से लगातार पीड़ितों की सुनवाई न होने के आरोप सामने आते रहते हैं। 

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