कोरोना वायरस के कारण साँसों के लिए तड़पते हुए मरीजों को बचाने के लिए आगे आए आरएसएस से प्रेरित सूरत शहर में रहने वाले एक शोधार्थी गोपाल गोस्वामी
कोरोना वायरस के कारण साँसों के लिए तड़पते हुए मरीजों को बचाने के लिए आगे आए आरएसएस से प्रेरित सूरत शहर में रहने वाले एक शोधार्थी गोपाल गोस्वामी
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विगत वर्ष कोरोना महामारी की शुरुआत के साथ ही दुनिया भर के अस्पताल मेडिकल ऑक्सीजन की 'जरूरत' रूपी गंभीर चुनौती का सामना कर रहे थे। वास्तव में, इस बढ़ते हुए विनाशक संकट के कारण पूरे देश में हजारों लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया है। जीवन-मरण के ऐसे संकटपूर्ण मोड़ पर, गुजरात के सूरत शहर में रहने वाले एक शोधार्थी और समाजसेवी व्यक्ति ने रिकॉर्ड समय में अपने गृहनगर में कोविड-19 से प्रभावित लोगों की मदद और सेवा करने के भाव से अपने दृढ संकल्प और इच्छाशक्ति का प्रकटीकरण किया। मूलतः उत्तराखंड के बागेश्वर के रहने वाले श्री गोपाल गोस्वामी पिछले 25 वर्षों से अधिक समय से गुजरात के सूरत में निवासरत हैं। कोविड-19 से पीड़ित अपने लोगों की मदद और सेवा के लिए उन्होंने सूरत से दिल्ली के रास्ते अपने गृह जिला बागेश्वर के लिए 38 लाख रुपये की लागत का ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट भेजा है, और उन्होंने यह कार्य अपने खर्चे (व्यय) पर किया है।

उन्होंने न्यूजएक्स (NewsX) को बताया कि उनका जन्म उत्तराखंड के पहाड़ी जिले बागेश्वर में भारतीय सेना के एक सैनिक के घर में हुआ था और उन्हें अभी भी अपने गृहनगर से भावनात्मक लगाव है। जब उन्हें अपने पैतृक शहर बागेश्वर के अस्पतालों और कोविड केयर केंद्रों में ऑक्सीजन की गंभीर और तत्काल आवश्यकता के बारे में पता चला तो वह बहुत व्यथित हो गए और उन्होंने अपने गृहनगर के लोगों की मदद और सेवा करने का संकल्प लिया।

जब हमने उनसे इस कार्य के पीछे की तात्कालिक प्रेरणा और वह इस तरह के विशाल कार्य को पूर्ण करने में कैसे सफल रहे, के बारे में प्रश्न पूछा तो उन्होंने उत्तर दिया, "सर्वप्रथम, मैंने ऑक्सीजन संयंत्र को एक शहर से दूसरे शहर में भेजने की सम्पूर्ण प्रक्रिया, सुरक्षा संबंधी प्रक्रिया (प्रोटोकॉल) और ध्यान रखने योग्य अन्य सभी उपायों के बारे में सभी प्रकार की आवश्यक जानकारी एकत्र की। इसके बाद मैंने सूरत से ही सारी व्यवस्थाएं की और बाद में ऑक्सीजन संयंत्र को सूरत से सुरक्षित दिल्ली के मार्ग से होते हुए बागेश्वर भेज दिया। दैवकृपा से मुझे बागेश्वर जिला के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का उचित मार्गदर्शन और सहयोग प्राप्त हुआ, जिसके कारण ऑक्सीजन जनरेशन संयंत्र सुरक्षित और बिना किसी परेशानी से अपने गंतव्य तक पहुंच गया।" बहुत ही कम समय में ऑक्सीजन संयंत्र उनके पैतृक गांव में स्थापित कर दिया गया, और उससे शीघ्र ही कोविड मरीजों और जरूरतमंदों का इलाज कर रहे अस्पताल को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने का काम शुरू हो गया। इस ऑक्सीजन संयंत्र को तत्काल उपयोग में लाया गया और इससे उत्तराखंड के अस्पताल में इलाज करा रहे लोगों को आपातकालीन ऑक्सीजन प्रदान करने का काम किया गया।

श्री गोपाल ने आगे बताया, "कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान प्रतिदिन कोविड पॉजिटिव मरीजों और मृत्यु दर में रिकॉर्ड वृद्धि हुई थी जो बहुत खौफनाक थी। ऑक्सीजन सिलेंडर और कंसंट्रेटर, वेंटिलेटर जैसे जीवनरक्षक उपकरणों की कमी के कारण कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ रही थी। ऐसी संकटपूर्ण और गंभीर परिस्थिति में मैं अपनी जन्मभूमि के वायरस से पीड़ित लोगों की मदद और सेवा करने के लिए अपने कर्तव्य से बंधा हुआ था। मैं अपने देशवासियों की सेवा अपने पूर्ण सामर्थ्य से करता आया हूँ और करता रहूँगा।"

एक शोधार्थी, सुप्रसिद्ध लेखक और एक गौरवान्वित भारतीय, श्री गोपाल गोस्वामी लोक प्रशासन विषय में स्नातकोत्तर हैं और वर्तमान समय में सूरत स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) से प्रबंधन विषय में पीएचडी कर रहे हैं। श्री गोपाल को अपने राष्ट्र और उसकी विराट संस्कृति से बहुत स्नेह है और वह उस पर गर्व करते हैं। उन्होंने कोरोना वायरस से प्रभावित लोगों की मदद करने और उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए सेवा और समर्पण भाव से अथक परिश्रम और उद्यम किए।

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