''मनुष्य की कमजोरी का प्रतीक है ईश्वर...
''मनुष्य की कमजोरी का प्रतीक है ईश्वर..." , जानिए आखिर आइंस्टीन क्यों कहा था ऐसा
Share:

बिखरे से सफेद बाल, घनी मूछें और लंबी सी जीभ बाहर निकाले हुए एक शख्स। कुछ याद आया? जी हां, बात अलबर्ट आइंस्टीन की हो रही है। आइंस्टीन की बात इसलिए हो रही है, क्योंकि आज यानि 14 मार्च यानि आज ही उनका जन्म दिवस है। इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका की माने तो, महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 14 मार्च 1879 को जर्मनी के उल्म में हुआ। आइंस्टीन एक भौतिकशास्त्री थे, उन्होंने रिलेटिविटी की थ्योरी के बारे में विश्व को समझाया था। अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने जीवन में बहुत से अविष्कार किये, कुछ सिद्धांतों के लिए उन्हें नोबल पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

कल्पना की शक्ति पर बोले आइंस्टीन: आइंस्टीन की कही हुई कुछ बातें आज भी विश्वभर के लोगों के लिए प्रेरणा से कम नहीं है। इनमें 'कल से सीखें, आज के लिए जिएं, कल के लिए आशा करें और सबसे बड़ी बात, प्रश्न करने की आदत को कभी भी न छोड़ें' और 'तर्क आपको A से B तक ले जानें वाला है जबकि कल्पना के सहारे आप कहीं भी जा सकते हैं' बहुत प्रचलित रही है।

ईश्वर पर लिख डाली चिट्ठी: आइंस्टीन के भौतिक शास्त्र के रूल्स की तो दुनिया दीवानी है, लेकिन ईश्वर को लेकर वो क्या सोचते थे यह भी हर कोई जानना चाह रहे है। आइंस्टीन ने अपनी मृत्यु से एक वर्ष पहले 3 जनवरी, 1954 को यह पत्र जर्मनी के दार्शनिक एरिक गटकाइंड को लिख दिया। इस चिट्ठी में ईश्वर और धर्म के बारे में बातें लिखी थीं।

20 करोड़ में बिका आइंस्टीन का पत्र: ईश्वर और धर्म के बारे में लिखा गया आइंस्टीन का यह पत्र बीते वर्ष अमेरिका में नीलाम हुआ था। नीलामी में यह पत्र 28.9 लाख डॉलर (करीब 20 करोड़ रुपये) में बेचा गया। नीलामी घर क्रिस्टी ने इस बारे में बोला है कि पत्र में आइंस्टीन ने धर्म और दर्शन को लेकर अपने विचारों को पूरी तरह जाहिर किया गया था जो इसे महत्वपूर्ण बनाता है। गटकाइंड ने आइंस्टीन को अपनी किताब 'चूज लाइफ: द बाइबलिकल कॉल टू रिवॉल्ट' पढ़ने को दी थी।

मनुष्य की कमजोरी का प्रतीक है ईश्वर - आइंस्टीन: इस किताब को पढ़ने के उपरांत आइंस्टीन ने पत्र में उन्हें भी लिख दिया था, 'ईश्वर शब्द मेरे खयाल में और कुछ नहीं बल्कि मनुष्य की कमजोरी को दर्शाता है। जबकि बाइबिल प्राचीन दंतकथाओं का संग्रह है। कोई भी बात मेरे इन विचारों को बदल नहीं सकती।' अपने इस पत्र में वह 17वीं शताब्दी के दार्शनिक बारुच स्पिनोजा से काफी हद तक सहमत होने की बात भी बोलते है । स्पिनोजा किसी मानव रूपी ईश्वर में नहीं बल्कि प्रकृति की खूबसूरती के लिए जिम्मेदार और सृष्टि को संचालित करने वाले ईश्वर में विश्वास करते थे, जो निराकार है।

Ind Vs WI: वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की दूसरी जीत, वेस्ट इंडीज को 155 रनों से दी करारी मात

Samsung ने रचा बड़ा इतिहास, जानिए क्या है मामला

वर्ल्ड कप में भारतीय महिला बल्लेबाज़ों का तूफ़ान, हरमनप्रीत और स्मृति मंधाना ने मचाया धमाल

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -