MP: चुनाव आयोग की वेबसाइट हैक कर बनाए फर्जी वोटर आईडी कार्ड, 4 गिरफ्तार
MP: चुनाव आयोग की वेबसाइट हैक कर बनाए फर्जी वोटर आईडी कार्ड, 4 गिरफ्तार
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भोपाल: साइबर हैकरों ने भारत के निर्वाचन आयोग की वेबसाइट हैक कर बड़ा कारनामा किया है। इस मामले में यह आरोप है कि हैकर्स ने दस हजार से अधिक फर्जी मतदाता पहचान पत्र बनाए हैं। जी दरअसल हाल ही में मध्य प्रदेश पुलिस ने इस मामले में मुरैना से चार किशोरों को हिरासत में लिया है। वहीँ दूसरी तरफ चुनाव आयोग ने कहा है कि, ''उसकी वेबसाइट हैक नहीं हुई है,उसका डाटाबेस पूरी तरह सुरक्षित है।'' आप सभी को बता दें कि बीते गुरुवार को इस मामले में उत्तर प्रदेश में पुलिस ने 24 साल के विपुल सैनी को सैकड़ों फर्जी वोटर आईडी बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया।

इस मामले के बारे में पुलिस अधिकारी ने कहा कि, सैनी से की गई पूछताछ में पता चला कि वह मध्य प्रदेश के हरदा निवासी अरमान मलिक के इशारे पर काम कर रहा था और उसने 3 महीनो 10,000 से ज्यादा फर्जी वोटर आईडी बनाए थे। केवल यही नहीं बल्कि इस मामले की सूचना यूपी पुलिस ने मुरैना के अंबाह के रहने वाले 18 साल के हरिओम सिंह की संलिप्तता की सूचना एमपी पुलिस को दी। इसी के साथ पुलिस दिहाड़ी मजदूर के बेटे हरिओम को भी पकड़ने की कोशिश में है। पूरे मामले के बारे में बात करें तो हरिओम सिंह सीधे विपुल सैनी के संपर्क में था और इसे दूसरों को बेचने के लिए आईडी रखता था। बीते शुक्रवार के दिन पुलिस ने हरिओम के संपर्क में आए 17 से 19 साल के चार किशोरों को हिरासत में ले लिया है।

इस दौरान एक शख्स ने पुलिस को बताया कि उनके पास कम से कम एक करोड़ असली और नकली वोटर आईडी हैं और वह धोखाधड़ी करने वालों को डेटा बेचते थे, जो मुख्य रूप से सिम कार्ड खरीदने, बैंक खाते खोलने और ऑनलाइन धोखाधड़ी करने के लिए फेक आईडी का इस्तेमाल करते थे। पुलिस का कहना है इन किशोरों ने कथित तौर पर दावा किया कि वे हरिओम के लिए काम कर रहे थे। अब पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उन्होंने कितना पैसा कमाया।

वहीँ दूसरी तरफ निर्वाचन आयोग के एक प्रवक्ता का कहना है ''सहायक मतदाता सूची अधिकारी (एईआरओ) नागरिकों को सेवा प्रदान करते हैं और मतदाता पहचान पत्र की प्रिंटिंग और समय पर वितरण की जिम्मेदारी उनकी होती है। एईआरओ कार्यालय के एक डाटा एंट्री ऑपरेटर ने अवैध रूप से अपना आईडी एवं पासवर्ड सहारनपुर के नकुड़ में एक निजी अनधिकृत सेवा प्रदाता को दी, ताकि वह कुछ वोटर कार्ड छाप सके। दोनों व्यक्ति गिरफ्तार हो चुके हैं। निर्वाचन आयोग का डाटाबेस पूरी तरह सुरक्षित है।''

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