भेड़िया को देख दीवाने हुए फैंस, जानिए रिव्यू
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प्रकृति है तो प्रगति है और आज जिस तरह से प्राकृतिक संपदा का दोहन होने लगा है। उसी का परिणाम है कि कहीं भूकंप तो कहीं बाढ़ जैसी आपदा भी आने लग जाती है। साथ ही ऐसी लाइलाज बीमारियां भी आ जाती हैं जिनका इलाज ढूंढने में वर्षों भी लगने लगे है। मूवी ‘भेड़िया’ की पृष्ठभूमि अरुणाचल प्रदेश का जंगल बताया जा रहा है। जब भी उस जंगल को कोई नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रहा है तो एक ऐसा विषाणु आ जाता है कि लोगों को पता ही नहीं चलता है कि अब उस विषाणु से मुक्ति कैसे मिल पाए। बात आसान सी है लेकिन बात कर समझाने में थोड़ी दिक्कत इसलिए भी लग सकती है क्योंकि मूवी ‘भेड़िया’ की दिक्कत भी कुछ कुछ ऐसी ही है। मूवी विचार के स्तर पर लाजवाब है लेकिन इसे परदे तक पहुंचाने के लिए इस बार निर्देशक अमर कौशिक के पास मूवी ‘स्त्री’ में उनके जोड़ीदार रहे राज और डीके नहीं है। इस बार निरेन भट्ट की कल्पना शक्ति पर पूरा दारोमदार है और एक हॉरर यूनिवर्स की ये कहानी ‘रूही’ जैसे अंजाम को पहुंचती हुई दिखाई दे रही है।

मूवी ‘भेड़िया’ की कहानी दिल्ली के रहने वाले भास्कर की है। वह बग्गा (सौरभ शुक्ला) के लिए कार्य करता है और बग्गा के कहने पर ही अपने चचेरे भाई जनार्दन (अभिषेक बनर्जी) के साथ सड़क बनाने अरुणाचल प्रदेश आ जाता है। यहां इनकी मुलाकात जोमिन (पॉलिन कबाक) और पांडा (दीपक डोबरियाल) से ही हो रही है। दोनों भास्कर की  सहायता करते हैं। लेकिन जंगल के आदिवासी अपनी जमीन छोड़ने और पेड़ों को काटने के लिए तैयार नहीं हैं। नहीं नहीं यहां ‘कांतारा’ जैसा कुछ भी नहीं है। भास्कर अपनी कोशिशें जारी रखता है और एक दिन वापस लौटते समय उस पर हमला हो जाता है। मामला जानवरों की डॉक्टर अनिका (कृति सेनन) के पास पहुंचता है और यहां से कहानी का जो ट्विस्ट आता है, वही असल ‘भेड़िया’ है।

तकनीकी टीम का काम देखें तो खुद निर्देशक अमर कौशिक इस बार थोड़े से कमजोर भी पड़ चुके है। मूवी का विषय तो उन्होंने बहुत अच्छा उठाया। पर्यावरण की बात भी सामने रखी लेकिन उन्हें कहानी पर थोड़ा और काम करने की आवश्यकता थी। निरेन भट्ट ने मूवी को कुछ हल्के-फुल्के और मजाकिया पलों के साथ जीवंत करने की कोशिश तो की है लेकिन ये बकरा भी किस्तों में कटता है। सबसे कमजोर पहलू फिल्म का संगीत है। न अमिताभ भट्टाचार्य के बोल यहां असरदार हैं और न ही सचिन जिगर का संगीत। हां, बैकग्राउंड स्कोर में उनकी मेहनत दिखाई दे रही है। मूवी का हीरो इसका पर्यावरण यानी कि अरुणाचल प्रदेश है और इसे बेहतरीन तरीके से दिखाने में जिष्णु भट्टाचार्जी की सिनेमैटोग्राफी ने कमाल किया है और एक स्टार फिल्म को इसके वीएफएक्स के लिए भी दिया जा रहा है।

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