Review: सस्पेंस और ड्रामा से भरी है धमाकेदार फिल्म दृश्यम 2, देखने वालों को आ जाएगा मजा
Review: सस्पेंस और ड्रामा से भरी है धमाकेदार फिल्म दृश्यम 2, देखने वालों को आ जाएगा मजा
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फिल्म: दृश्यम 2
रेटिंग​: 4/5
कलाकार :
अजय देवगन, तब्बू, अक्षय खन्ना, श्रेेया सरन, इशिता दत्ता, सौरभ शुक्ला, मृणाल जाधव
निर्देशक : अभिषेक पाठक

दृश्यम के बाद इसके पार्ट 2 का इंतज़ार सभी को था, हालाँकि फिल्म कैसी है यह आज हम आपको बताते हैं।

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कहानी - गोवा में रहने वाले विजय सलगांवकर, उनकी फैमिली और 2 अक्टूबर को उनके साथ हुए हादसे से तो आप वाकिफ हैं। 'दृश्यम 2' सात साल बाद उसी स्टोरी को आगे बढ़ाती है। विजय का परिवार आज भी सहमा हुआ है और सोसायटी से कटऑफ है। विजय इस बीच केबल ऑपरेटर से एक थिएटर का मालिक बन चुका है और फिल्मों का शौकीन विजय अब फिल्म प्रोड्यूस करना चाहता है। वहीं कहानी को लेकर उसकी मुलाकात एक जाने-माने डायरेक्टर (सौरभ शुक्ला) से होती है, हालांकि विजय अपनी लिखी फिल्म के क्लाइमैक्स से खुश नहीं है। जिसके ड्राफ्ट पर दोबारा काम कर रहा है। वहीं दूसरी ओर 2 अक्टूबर को हुए हादसे के बाद से उनका परिवार सदमे में है। उसकी बड़ी बेटी अंजू (इशिता दत्ता) को जहां एंजायटी अटैक आते हैं, तो वहीं मां नंदनी सलगांवकर (श्रेया सरन) भी अक्सर पुलिस को देखकर चौंक जाती है। गोवा में एसपी तरुण अहलावत (अक्षय खन्ना), जो मीरा(तब्बू) के दोस्त भी हैं, का तबादला हुआ है। अक्षय के आने के बाद केस रिवाइव होता है और पुलिस दोबारा लाश को खोजने में लग जाती है। ऐसे में इस बार पुलिस पूरी तैयारी के साथ विजय और उसके परिवार को पकड़ना चाहती है और यहाँ उन्हें डेविड (सिद्धार्थ बोडके) के रूप में एक अहम सुराग मिलता है। दोबारा क्रिमिनल इनवेस्टिगेशन में फंसे इस परिवार के लिए क्या विजय हीरो साबित हो पाते हैं? क्या पुलिस को बॉडी मिल पाती है? डेविड के पास क्या राज है? पुलिस और विजय की दिमागी जंग में आखिर कौन जीतता है? इन सभी सवालों के जवाब के लिए आपको फिल्म देखनी होगी। 

कैसी है फिल्म- आपको क्लाइमैक्स पहले से पता होगा कहानी में लेकिन पूरी फिल्म के दौरान आपका इंट्रेस्ट बरकरार रहता है और जिन्हें नहीं पता, तो उनके लिए सोने पर सुहागा। इस फिल्म को देखने के दौरान ऐसे कई मोमेंट्स हैं, जिसमें आप ताली बजाने पर मजबूर होते हैं और कुछ आपको हैरान कर देते हैं। फिल्म में फर्स्ट हाफ के शुरुआत का 20 मिनट छोड़कर पूरी फिल्म आपको बांधे रखती है। वहीं इंटरवल तक आते-आते फिल्म की रफ्तार तेज पकड़ती है और अंत तक सस्पेंस बरकरार रखने में कामयाब होती है। कोर्ट रूम ड्रामा, परिवार पर हाथ उठाती पुलिस, 2 अक्टूबर वाले जोक्स जैसे सीक्वेंस देखकर फिल्म निकलती है और अपने अंजाम तक पहुँच जाती है।

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अभिनय- अजय देवगन और तब्बू जैसे स्टार जब स्क्रीन पर एक साथ आते हैं, तो मजा आना लाजमी है। हालांकि प्रीक्वल की तुलना में यहां उनकी एक्टिंग उतना प्रभावित नहीं करती है। अक्षय खन्ना की एंट्री फिल्म का दिलचस्प पहलू है। जी हाँ और अक्षय अपने अंदाज में बेहतरीन रहे। श्रेया सरन ने अपना काम डिसेंट किया है और बेटियों के रूप में इशिता और मृणाल का किरदार के प्रति कॉन्फिडेंस स्क्रीन पर साफ झलकता है। इंस्पेक्टर गायटोंडे के रूप में कमलेश सावंत का काम बेहतरीन है। सौरभ शुक्ला का इस फिल्म में अहम किरदार है, और उन्होंने भी बेहतरीन अभिनय किया।

क्यों देखें - अगर आपने साउथ वर्जन भी देखा है, तो भी दावा है कि फिल्म देखकर आप निराश नहीं होंगे। जी हाँ और इस फिल्म में आपको फैमिली एंटरटेनमेंट के साथ भरपूर सस्पेंस और ड्रामा मिलेगा।

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