सागर: वन माफिया को पकड़ने में अब कटे हुए पेड़ों की गवाही काम आने वाली है. इन पेड़ों की डीएनए रिपोर्ट बनवाई जाएगी. इस रिपोर्ट के माध्यम से लकड़ी माफिया पर अंकुश लग सकेगा. वन माफिया पर छापे मारने में उनके पास से जब्त की गई लकड़ी का इस रिपोर्ट से मिलान हो जाने पर यह उनके खिलाफ पुख्ता सुबूत बनेगा.
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उल्लेखनीय है कि अभी तक मानव से जुड़े अपराधों और रिसर्च वर्क में ही डीएनए रिपोर्ट का प्रयोग किया जाता था, किन्तु अब वनों के संरक्षण में भी डीएनए रिपोर्ट अहम भूमिका निभाएगी. पेड़ों के कटे तने के डीएनए टेस्टिंग की यह व्यवस्था देश में पहली दफा मध्य प्रदेश के नौरादेही वन्य जीव अभयारण्य में लागू हुई है. यहां इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में आरम्भ किया गया है.
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आरोपितों से बरामद की गई लकड़ी व पेड़ के कटे हुए तने की लकड़ी की डीएनए टेस्टिंग स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसएफआरआइ) जबलपुर द्वारा करवाई जाएगी. यदि बरामद लकड़ी, कटे हुए पेड़ की ही पाई गई तो यह डीएनए रिपोर्ट चोरों के विरुद्ध वन विभाग के पास एक प्रामाणिक साक्ष्य के रूप में उपलब्ध रहेगी. सागर संभाग स्थित नौरादेही वन्य जीव अभयारण्य में लकड़ी माफियाओं पर अंकुश लगाने में सफलता मिलती है तो फिर इसे अन्य सेंचुरी पार्क व वन मंडलों में भी लागू किया जाएगा.
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