अदालत ने बढ़ाई तोमर की हिरासत अवधि
अदालत ने बढ़ाई तोमर की हिरासत अवधि
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नई दिल्ली : हाल ही में दिल्ली की एक अदालत के द्वारा सोमवार को दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की पुलिस हिरासत अवधि को चार दिनों के लिए बढ़ा दिया है। गौरतलब है कि तोमर को दिल्ली पुलिस ने फर्जी डिग्री के मामले में गिरफ्तार किया है। अदालत ने यह फैसला दिल्ली पुलिस की उस दलील के बाद दिया है जिसमें यह कहा गया था कि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय द्वारा प्राप्त एक स्थानांतरण प्रमाण पत्र से संबंधित तथ्यों का पता लगाने के लिए उसे तोमर की हिरासत की आवश्यकता है। पुलिस के द्वारा जीतेन्द्र तोमर पर जाली प्रमाण पत्र प्राप्त करने का आरोप लगाया गया है। दिल्ली पुलिस को महानगर दंडाधिकारी प्रीति परेवा ने 19 जून तक तोमर से पूछताछ करने की अनुमति दी है। पुलिस ने आरोपी पूर्व मंत्री की पुलिस हिरासत की अवधि खत्म होने के बाद उन्हें अदालत में पेश किया था।

आपको यह भी बता दे कि दिल्ली पुलिस ने तोमर को फर्जी डिग्री मामले में बीते मंगलवार को गिरफ्तार किया था और उनके जीतेन्द्र के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश रचने का मामला दर्ज किया था। अपनी गिरफ्तारी के बाद तोमर ने भी अरविंद केजरीवाल सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। पुलिस की ओर से अदालत में पेश होते हुए सरकारी वकील अतुल श्रीवास्तव ने अदालत से तोमर को आठ दिनों की पुलिस हिरासत में सौंपने का आग्रह किया। इसके लिए उन्होंने दलील दी की आरोपी से उसकी शिक्षा के संबंध में विभिन्न तथ्यों का पता लगाना आवश्यक है।

अदालत को उन्होंने बताया कि तोमर का विश्वविद्यालय के अधिकारियों और संस्थान के छात्रों से सामना कराने की जरूरत है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि उन्होंने महाविद्यालय में पढ़ाई की है या नहीं। तथ्यों का पता लगाने और जाली दस्तावेज तैयार करने में प्रयुक्त सामग्री, विशेष रूप से मुहर का पता लगाने के लिए और उन्हें बुंदेलखंड विश्वविद्यालय और भागलपुर ले जाने के लिए दिल्ली पुलिस ने तोमर को हिरासत में सौंपने की मांग की थी।

पुलिस ने कहा कि जब भी तोमर से महाविद्यालय के प्राध्यापकों और पढ़ाई के दौरान जिस स्थान पर वह रहा करते थे, इस सब जीचों के बारे में पूछा जाता है तो वह यही दोहराते हैं कि उन्हें याद नहीं है। बचाव पक्ष के वकील राजीव खोसला ने दिल्ली पुलिस की मांग का विरोध करते हुए कहा कि पुलिस ने उनके मुवक्किल की हिरासत की मांग करते हुए कोई ताजा सबूत पेश नहीं किया है और वह पुरानी दलीलों को ही दोहरा रही है।

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