'बेटी का बलात्कार, मां को हुई जेल! हिंदू संगठन ने सुलझाया मामला
'बेटी का बलात्कार, मां को हुई जेल! हिंदू संगठन ने सुलझाया मामला
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बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से एक बड़ी घटना सामने आ रही है यहाँ रेप पीड़िता की मां 11 दिनों पश्चात् जेल से रिहा हो गई है। बाहर आते ही पीड़िता की मां ने कहा कि लड़की को न्याय दिलाने के लिए उनका संघर्ष जारी रहेगा। साथ ही उन्होंने रतनपुर समेत पूरे राज्य के उन तमाम हिंदू संगठनों के साथ ही उन सभी का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उनकी रिहाई और न्याय के लिए सड़कों पर आकर संघर्ष किया था।

घटना बिलासपुर से लगभग 30 से 40 किलोमीटर दूर रतनपुर का है। यहां धर्म विशेष का लड़का एक तरफा प्रेम में पागल होकर हिंदू लड़की को तंग करने लगा। फिर लड़के ने लड़की के साथ बलात्कार किया। फिर जेल जाने के डर से पीड़ित परिवार पर मामला रफा-दफा करने का दबाव बनाने लगा। तत्पश्चात, पीड़िता की मां ने इस मामले में अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष किया तथा आखिरकार अपराधी शख्स को जेल जाना पड़ा। पीड़ित पक्ष के आरोप के अनुसार, युवक के जेल जाते ही उसके चाचा ने नाराज होकर उन्हें बाल यौन शोषण के मामले में फंसा दिया। फिर पीड़िता की मां को जेल जाना पड़ गया। फिर पूरे मामले में अलग-अलग हिंदू संगठन थाने के बाहर हाथों में चूड़ियां लेकर प्रदर्शन करने लगे। इसके साथ ही मशाल रैली निकालकर अपना विरोध दर्ज कराया। संगठनों ने सड़क पर चक्का जाम कर दिया तथा क्षेत्र में कर्फ्यू जैसी स्थिति बनने लगी थी। बदले की भावना से दर्ज की गई प्राथमिकी को रद्द करने और टीआई के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की जा रही थी।

वही इसके साथ ही पीड़िता की मां की रिहाई की मांग की जा रही थी। विरोध-प्रदर्शन के पश्चात् पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार ने मामले की तहकीकात के लिए कमेटी गठित की थी। सोमवार को टीम की जांच रिपोर्ट पर पुलिस अधीक्षक ने टीआई कृष्णकांत सिंह को निलंबित कर दिया है। वहीं SDOP सिद्धार्थ बघेल को नोटिस जारी किया गया है। सोमवार को जांच कमेटी के प्रमुख और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राहुल देव के नेतृत्व में संपूर्ण तथ्यों और घटनाक्रम की निष्पक्षता से तहकीकात की गई। फिर इसे अधीक्षक संतोष सिंह के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, अफसरों ने जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से मना किया है। पीड़िता की ओर से अधिवक्ता आशुतोष पांडेय ने पीड़िता की मां की जमानत के लिए अर्जी लगाई थी। इस पर सोमवार को बहस हुई। अधिवक्ता आशुतोष पांडेय ने बताया कि पुलिस ने विधवा महिला को ही पॉक्सो एक्ट और यौन शोषण का अपराधी बनाया है। उस महिला ने अपनी बेटी की बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस पर बदले की भावना से पुलिस के साथ मिलीभगत कर उनके खिलाफ काउंटर मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने उनके पक्ष को सुना। सभी पक्षों को सुनने के पश्चात् अपर सत्र न्यायाधीश स्मिता रत्नावत की अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस पर आज शाम को फैसला देते हुए अदालत ने जमानत अर्जी स्वीकार कर लिया है।

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