भारत में वर्तमान परिस्थिति में समावेशी समाज के साथ प्रगतिशील सियासत की पैरोकारी करने वाले लोगों को भी कोरोना महामारी के गंभीर खतरों के बीच तब्लीगी जमात का व्यवहार अब गवारा नहीं लग रहा है. इनका मानना है कि कोरोना वायरस संक्रमण की चुनौती के इस दौर में तब्लीगी जमात की बेहद गैर जिम्मेदार भूमिका के खिलाफ प्रगतिशील बु्द्विजीवी ताकतों को मुखर रुप से आवाज उठानी चाहिए.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि कांग्रेस के तेज तर्रार नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ऐसे ही लोगों में शामिल हैं जिन्होंने तब्लीगी जमात के जमावाड़े से लेकर संक्रमण फैलाने के उनके रवैये पर सवाल उठाते हुए जमकर आलोचना की है. मनीष तिवारी को जमात के रवैये पर सवाल उठाने के लिए सोशल मीडिया पर कुछ जवाबी तीखी आलोचना का सामना भी करना पडा है. मगर कोरोना महामारी के वैश्विक संकट में ऐसी आलोचनाओं को सिरे से खारिज करते हुए तिवारी ने साफ कहा कि एक समय आता है जब गलत को गलत कहना ही पडता है.
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अगर आपको नही पता तो बता दे कि सोशल मीडिया के अपने टवीटर अकाउंट पर इस बहस की शुरूआत भी मनीष तिवारी ने ही की जब उन्होंने कहा कि तब्लीगी जमात से भारत ही नहीं पूरी दुनिया को सावधान रहना होगा. उन्होंने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की स्वास्थ्य मंत्री का वीडियो बयान टैग करते हुए कहा उनके मुताबिक पाकिस्तान के ज्यादतर कोरोना संक्रमण के मामले जमात से जुडे हैं. वही, तब्लीगी जमात के लोगों की वजह से देश में मचे हडकंप और पाकिस्तान मंत्री के बयान के संदर्भों में ही मनीष तिवारी ने कहा कि समय आने पर अगर आप गलत को गलत नहीं कहेंगे तो फिर आप कटटरपंथियों को मजबूत करेंगे. जब उनके इस सुर पर कुछ लोगों ने सवाल उठाते हुए टवीटर पर उन पर तीखे सवाल दागने शुरू किए तो तिवारी ने कहा कि प्रगतिशील वर्ग में तब्लीगी जमात को लेकर निंदा का सुर धीमा दिखा है.
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