इंदौर: कमलनाथ ने कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को उन सीटों से लड़ाने का प्रस्ताव दिया था जो बीजेपी के मजबूत गढ़ हैं। पर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के भोपाल से मैदान में उतरने के साथ साथ अन्य किसी सीट पर यह प्रयोग नहीं दोहराया जा चुका है। भाजपा 96,97 व 98 के चुनावों में ऐसा कर चौंका चुकी है। हालांकि सुंदरलाल पटवा को छोड़कर उसके बाकी पूर्व मुख्यमंत्री महारथी कामयाब नहीं हो पाए थे। पटवा का इतिहास दिग्विजय दोहराएंगे या वीरेंद्र कुमार सकलेचा, कैलाश जोशी व अर्जुन सिंह की नियति को पाएंगे, यह देखना होगा। पटवा ने कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में उन्हें 38 हजार से अधिक मतों से मात दे दी थी। अन्य पूर्व सीएम सकलेचा, जोशी, अर्जुन सिंह और विधानसभा चुनाव में शिवराज कांग्रेस के गढ़ में जाकर चुनाव लड़ने पर खेत रहे।
सीएम ने मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री के किये कार्यों याद करते हुए ट्वीट करते हुए लिखा की, राष्ट्र और समाज की सेवा हेतु जीवन का हर क्षण अर्पित कर चुके है, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, श्रद्धेय सुंदरलाल पटवा जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं।
राष्ट्र और समाज की सेवा हेतु जीवन का हर क्षण अर्पित कर देने वाले, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, श्रद्धेय सुंदरलाल पटवा जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं।
Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) December 28, 2022
अपने कार्यों एवं विचारों के माध्यम से आप सदैव हम सबके हृदय में अखण्ड प्रकाश पुंज की भांति देदीप्यमान रहेंगे। pic.twitter.com/epMdq0PcAT
अपने कार्यों एवं विचारों के माध्यम से आप सदैव हम सबके हृदय में अखण्ड प्रकाश पुंज की भांति देदीप्यमान रहेंगे। बता दें कि, पूर्व मुख्यमंत्री सूंदर लाल पटवा मध्यप्रदेश विधानसभा में तीन बार विधायक रहे, विपक्षी दल के चीफ व्हीप, जनता पार्टी के कार्यसमिति सदस्य बने। इसके बाद 1980 में पहली बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 1999 में 13वीं लोकसभा में दूसरी बार (संसदीय क्षेत्र होशंगाबाद) सांसद बने। इसके साथ यह केंद्रीय खनन मंत्री भी रह चुके हैं।
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