ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाईयों की कमी से जूझ रहा महाराष्ट्र
ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाईयों की कमी से जूझ रहा महाराष्ट्र
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मुंबई: कोविड-19 की दूसरी लहर के साथ ब्लैक फंगस भी अपने पाँव फैलाने लगा है। आप सभी को बता दें कि पूरे देश में ब्लैक फंगस के नए मरीज लगातार बढ़ते चले जा रहे हैं। इस समय अकेले महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस के 1500 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। यह बीमारी राज्य में 90 लोगों की जान भी ले चुकी है। अब इस समय हालत कुछ ऐसी है कि ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाईयों की कमी देखी जा रही है। मिली जानकारी के तहत महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस की दवाइयों की मांग 100 गुना तक बढ़ गई है।

यहाँ महामारी से पहले liposomal amphotericin B injection इंजेक्शन की मांग 3000 यूनिट प्रतिमाह हुआ करती थी लेकिन अब अचानक से ये मांग 3 लाख इंजेक्शन तक पहुंच गई है। यह कहा जा सकता है कि इतनी ज्यादा बढ़ी हुई मांग को पूरा कर पाना आसान नहीं है। बीते दिनों जिस तरह से देश में रेमडिसिविर इंजेक्शन की कमी से हाहाकार मच गया था, ठीक वैसी ही स्थिति अब ब्लैक फंगस के इलाज में काम आने वाले liposomal amphotericin B injection को लेकर देखी जा रही है। सरकार ने कालाबाजारी और जमाखोरी रोकने के लिए सभी कलेक्टरों को अस्पतालों में एम्फोटेरिसिन बी की आपूर्ति को नियंत्रित करने को कहा है।

इसी के साथ राज्य के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन विभाग का कहना है कि ''इस सप्ताह वे 8,500 इंजेक्शंस ही उपार्जित कर सके हैं, जबकि बीएमसी 1000 इंजेक्शनों की व्यवस्था कर सकी है।'' आप सभी को बता दें कि केन्द्र से महाराष्ट्र को 16,500 इंजेक्शन आवंटित किए गए हैं और ऐसे में राज्य को उनकी कुल मांग की तुलना में काफी कम इंजेक्शंस मिल पा रहे हैं।

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