कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने संदेशखाली में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू करने को अमान्य कर दिया, जहां पिछले सप्ताह से विरोध प्रदर्शन जारी है। संदेशखाली के दो निवासियों ने एक याचिका दायर कर अदालत से क्षेत्र में निषेधाज्ञा हटाने का आग्रह किया था।
न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता ने पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना के संदेशखाली में जिला प्रशासन द्वारा सीआरपीसी की धारा 144 लगाए जाने को यह कहते हुए पलट दिया कि इसे लागू करने का तरीका गलत था।याचिकाकर्ताओं के वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने तर्क दिया कि संदेशखाली में निषेधाज्ञा लागू करने का आधार निराधार था और इसका उद्देश्य लोगों के विरोध के अधिकार को दबाना था। राज्य सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह आकलन करना आवश्यक है कि क्या विरोध प्रदर्शन के लिए वैध आधार थे और इनमें से कुछ प्रदर्शनों से उत्पन्न हिंसा के आरोपों पर भी प्रकाश डाला गया।
संदेशखाली तब सुर्खियों में आया जब 5 जनवरी को तृणमूल कांग्रेस नेता शाजहान शेख के आवास पर तलाशी अभियान के दौरान भीड़ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों पर हमला कर दिया। महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के आरोपों के कारण इस क्षेत्र में पिछले सप्ताह से विरोध प्रदर्शन हो रहा है। महिलाओं का आरोप है कि, TMC के गुंडे लड़कियों को घरों से उठा ले जाते हैं और उनका यौन शोषण करते हैं, इस मामले में पुलिस भी नहीं सुनती है। वहीं, जब TMC नेता शाहजहां शेख के फरार होने के बाद संदेशखाली की महिलाएं विरोध प्रदर्शन कर रहीं थीं, तो बंगाल पुलिस ने वहां 144 लगा दी थी, जिसे हाई कोर्ट ने हटा दिया।
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