लखनऊ: अयोध्या के नवनिर्मित भव्य मंदिर में 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। उससे पहले मीडिया से चर्चा करते हुए प्रभु राम के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़ी अपनी यादों को साझा किया। सत्येंद्र दास ने कहा कि इस घड़ी का सालों से इंतजार था। प्राण प्रतिष्ठा का दृश्य अपने आप में अद्भुत और विलक्षण होगा। जिस दिन प्राण प्रतिष्ठा होगी तथा रामलला अपने भव्य और दिव्य मंदिर में विराजेंगे वह एक युग के समान है। ऐसा लगता है कि जितनी चुनौतियां और परेशानियां रहीं वे सब समाप्त हुईं, अब युग बदल गया, अब राम का युग आया है।
आचार्य सत्येंद्र दास ने उस वक़्त को भी याद किया जब रामलला को सालों तक तिरपाल के नीचे रहना पड़ा। उन्होंने कहा, 'वह बहुत ही दर्दनाक वक़्त था। ये समझिए की भगवान रामलला की कृपा से 28 वर्ष बीत गए तथा पता नहीं चला। जब प्रभु राम वनवास के लिए जाने लगे तो माता सीता ने हठ किया की मैं भी साथ चलूंगी। तब भगवान ने तमाम तर्क रखे कि क्यों उनका जाना ठीक नहीं है। तब सीता माता ने कहा कि जैसे बिना जल के गंगा तथा सरयू का अर्थ नहीं रह जाता, वैसे ही साथ में पति नहीं है तो नारी भी निर्जीव है'।
आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया, 'माता सीता ने प्रभु राम से कहा, आप वन चले जाएंगे तो मैं भी निर्जीव हो जाऊंगी, इसलिए वन में जो भी कष्ट होंगे मैं सब सह लूंगी, मगर आपका वियोग नहीं सह पाऊंगी। प्रभु राम ने उन्हें समझाने का प्रयास किया कि 14 वर्ष बहुत लंबा समय नहीं है, बीत जाएगा। मगर वह नहीं मानीं और साथ गईं। वैसे ही जो भी परेशानी आईं, यह धैर्य रहा कि ये भी समय बीत जाएगा और अच्छा समय अवश्य आएगा। तिरपाल हटेगा, भव्य मंदिर बनेगा। क्योंकि भगवान की इच्छा के बिना पत्ता भी नहीं हिलता। आज वह समय आ गया'।
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