'साल 2014 से पहले सरकार अपने भ्रष्‍टाचार को ड‍िफेंड करने में लगी रहती थी', PM मोदी का कांग्रेस पर हमला
'साल 2014 से पहले सरकार अपने भ्रष्‍टाचार को ड‍िफेंड करने में लगी रहती थी', PM मोदी का कांग्रेस पर हमला
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नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने ने हाल ही में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ‘सिर्फ अपने लिए जिए तो क्या जिए, जीना है तो देश के लिए, मरना है तो देश के लिए।’ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नया भारत आतंकी हमलों के जख्म देने वालों को सबक सिखाता है। जो आतंकी हमलों के जख्‍म देते थे, उनकी क्‍या हालत है, देश भी देख रहा है दुन‍िया भी देख रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चुनाव प्रचार जोर पकड़ा रहा है। सरकार अपना र‍िपोर्ट कार्ड रख रही है। 25 वर्षों का रोडमैप तैयार कर रहे हैं। तीसरे टर्म के 100 द‍िनों का प्‍लान बना रहे हैं। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यहाँ बड़े-बड़े पत्रकार उपस्थित हैं, पॉल‍िट‍िकल फील्‍ड के भी लोग हैं। सरकारों में ब्‍यूरोक्रेसी में काम कैसे होता है। एक फैक्‍टर क्‍या था? जो परिवर्तन आया। एक फैक्‍टर है- नीयत सही तो काम सही। हम ज्ञान में व‍िज्ञान में सबसे आगे हैं। हमें नेशन फस्‍ट की नीयत से आगे चलना है। ये फर्क बहुत बारीक है। ये बारीक फर्क ही देश को आगे ले जाता है। आप अपने काम को देश से जोड़ लेंगे देश के लक्ष्‍य से जोड़ लेंगे। आगे PM मोदी ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में बहुत परिवर्तन हुआ है। आज भारत का कॉन्फिडेंस लेवल हर भारतीय की बात में झलक रहा है। आज हम विकसित भारत की बात कर रहे हैं। आज हम आत्म निर्भर भारत की बात कर रहे हैं। हम सभी लोग ये उपलब्धियां देख रहे हैं। केवल 10 वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले, भारत की अर्थव्यवस्था 10वें नंबर से ऊपर उठकर पाँचवें नंबर में आ गई। ऐसे कई चीजें बदली हैं।

वही इसके चलते पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश की साख ग‍िर रही हो तो स्‍वाभ‍िमान भी नहीं रहेगा। वर्ष 2014 से पहले क्‍या हाल था भ्रष्‍टाचार था? सरकार अपने भ्रष्‍टाचार को ड‍िफेंड करने में लगी रहती थी। आज सरकार भ्रष्‍टाचार पर एक्‍शन ले रही है। भ्रष्‍टाचारी झूठ बोल-बोल कर बचाव कर रहे हैं। आगे उन्होंने कहा कि अब सरकारी दफ्तर सेवा केन्‍द्र बन गए हैं, जबकि पहले दफ्तर पॉवर सेंटर बन गए थे। सरकारी कर्मचारी, कांग्रेस सांसद के घर से नोटों के ढेर न‍िकल रहे हैं। चारों तरफ बौखलाहट दिखाई देती है। पहले एक प्रधानमंत्री ने कहा था कि द‍िल्‍ली से एक रुपये तक भेजता हूँ तो 15 पैसा लोगों तक पहुँचता है। पैसा तो न‍िकलता था पर लोगों तक पहुँचता नहीं था। यदि पहले वाली परेशानी होती तो 27 से 28 लाख करोड़ गरीबों तक पहुँचते ही नहीं।

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