इस कारण भारत में आज नहीं है एक भी चीता, जानिए किसने किया था आखिरी बार शिकार?
इस कारण भारत में आज नहीं है एक भी चीता, जानिए किसने किया था आखिरी बार शिकार?
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ग्वालियर: मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 17 सितंबर मतलब आज नामीबिया से 8 चीते लाए गए हैं। इस मेगा इवेंट पर दुनियाभर की नजर है, क्योंकि चीतों की इस प्रकार की पहली शिफ्टिंग है। मध्य प्रदेश के विशाल वन मंडल के 748 वर्ग किमी में फैला कूनो पालपुर नेशनल पार्क शीघ्र ही 8 अफ्रीकी चीतों का नया घर होगा। यह इलाका छत्तीसगढ़ के कोरिया के वर्ष जंगलों से मिलता जुलता है। वही जल्द ही भारत की जमीन पर भी चीता दौड़ते दिखाई देने वाले हैं। आपको जानकार हैरानी होगी कि वर्ष 1947 से भारत में दुनिया का सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर चीता नहीं है। कहा जाता है कि जब देश में आखिर चीता बचा था, तो उसका भी किसी महाराजा ने शिकार कर लिया था। किन्तु, अब पीएम नरेंद्र मोदी मध्यप्रदेश में चीता प्रोजेक्ट का आरम्भ किया जाएगा तथा भारत से विलुप्त इस जानवर को भारत में लाया जाएगा। अनुमान है कि इसके पश्चात् भारत में चीता की संख्या में बढ़ोतरी होगी। चीता प्रोजेक्ट को लेकर कई प्रकार के सवाल हैं कि आखिर इस प्रोजेक्ट के माध्यम से क्या कदम उठाए जाएंगे। इसके साथ ही ये जानना भी दिलचस्प है कि अंतिम चीता को किसने मारा था तथा अंतिम चीता से जुड़ी क्या कहानियां हैं… तो जानते हैं भारत में चीता से जुड़े कई विशेष तथ्य…

क्या है आखिरी चीता की कहानी?
बता दें कि भारत में वर्ष 1947 में अंतिम चीता की मृत्यु हो गई थी। इसके 5 वर्ष पश्चात् 1952 में इसे विलुप्त घोषित कर दिया गया तथा उसके बाद से भारत में कोई चीता नहीं है। वर्ष 2009 में ही अफ्रीका से चीता लाने पर विचार किया गया था तथा अब 2022 में 8 विदेशी चीता लाए जा रहे हैं। एक तथ्य ये भी है कि चीता देश में शिकार एवं रहने-खाने की दिक्कतों के कारण विलुप्त होने वाली एकमात्र बड़ा मांसाहारी जीव है। बोला जाता है कि मुगल शासक अकबर ने अपने शासन काल को चलते लगभग 1000 चीते संरक्षित कर रखे थे तथा पूरे देश में इनकी संख्या और भी अधिक बताई जाती है। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाएटी के जर्नल में भी बताया गया है कि भारत में हमेशा से चीता रहे हैं। किन्तु, आहिस्ता-आहिस्ता यह लुप्त होते गए।

किसने मारे थे?
ऐसा कहा जाता है कि भारत में तीन अंतिम एशियाई चीता बचे थे, किन्तु कोरिया (वर्तमान में छत्तीसगढ़) के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने 1947 में तीन चीता का शिकार किया था। बोला जाता है कि अंतिम तीन चीता का इन महाराजा द्वारा शिकार कर लिया गया था। इसके बाद से भारत से चीता समाप्त हो गए तथा 1952 में तो इस विलुप्त करार दे दिया गया। अब सवाल है कि विदेश से आ रहे चीता भारत में सर्वाइव कर पाएंगे या नहीं। कई रिपोर्ट्स में प्रश्न किए जा रहे हैं कि चीता को सर्वाइव करने के लिए बहुत बड़े क्षेत्र की जरुरत होती है, ऐसे में भारत में उन्हें जमीन देना मुश्किल टास्क हो सकता है। साथ ही यहां का वातावरण के हिसाब से रहने में उन्हें थोड़ी कठिनाई हो सकती है।

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