'उरी' को बताया प्रॉपेगैंडा फिल्म, पत्रकार पर बुरी तरह भड़क उठे अशोक पंडित
'उरी' को बताया प्रॉपेगैंडा फिल्म, पत्रकार पर बुरी तरह भड़क उठे अशोक पंडित
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बुधवार दोपहर मुंबई के एक पांच सितारा होटल में फिल्म निर्माता शैलेन्द्र सिंह द्वारा प्रोड्यूस देशभक्ति और एकता के माहौल के लिए तैयार किया गया गाना लॉन्च किया गया. बता दें कि इस गाने को अपनी मधुर आवाज सिंगर सुखविंदर सिंह और जुबिन नौटियाल ने दी है और इसे संगीत से सजाया है संगीत निर्देशक मिथुन ने. इस गाने के बोल हैं 'वन इंडिया माय इंडिया'. गाने को 130 करोड़ भारतीयों की आत्मा कहा गया है. वहीं उस समय माहौल काफी ख़राब हो गया जब एक रिपोर्टर ने निर्माता शैलेन्द्र सिंह और सुखविंदर सिंह से सवाल किया. 

रिपोर्टर ने सवाल किया था कि आपका यह गाना देश में एकता, प्यार और सेक्युलरिज्म की बात बताता है, लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में मॉब लिंचिंग जैसी वारदातें हुई हैं और उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक, ऐक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर, इंदू सरकार और मोदी जी बायॉपिक जैसी प्रॉपेगैंडा फिल्मों से बॉलिवुड का मिसयूज हो रहा है, इस क्या कहेंगे? बस यह सवाल सुनते ही अशोक पंडित भड़ उठे. बताया जा रहा है कि 
यह सवाल तो वैसे निर्माता शैलेन्द्र सिंह और सिंगर सुखविंदर सिंह से पूछा गया था, लेकिन रिपोर्टर का यह सवाल वहां अपने दोस्त शैलेन्द्र सिंह को सपॉर्ट करने पहुंचे निर्माता-निर्देशक और पूर्व सेंसर बोर्ड के सदस्य अशोक पंडित को ठीक नहीं लगा और उन्होंने पत्रकार को लताड़ लगा दी. 

पंडित ने कहा कि सेना के वीर जवानों को लेकर बनाई गई फिल्म को आप कैसे प्रॉपेगैंडा कह सकते हैं और क्या इंदू सरकार या ऐक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर बीजेपी की फिल्म थी. वहीं आगे अशोक पंडित ने कहा, 'मैं जानता हूं कि वह सवाल मुझसे नहीं पूछा गया था, लेकिन एक एजेंडा लेकर आए रिपोर्टर को जवाब देना भी जरूरी भी था.  

अशोक पंडित ने आगे कहा कि, 'पूर्वाग्रह से दूषित पत्रकार की मानसिकता पर प्रश्नचिन्ह लगाना भी जरूरी था और जब मैंने पत्रकार से 1947 से लेकर अब तक देश में हुए कत्लेआम और बड़े पैमाने पर मॉब लिंचिंग पाए सवाल किया तब वह चुप रह गया. वैसे भी वह मंच एक गाने के लॉन्च का था, किसी और बातों का नहीं. उनके मुताबिक, कोई भला कैसे ऐसे मंच पर मॉब लिंचिंग और प्रॉपेगैंडा फिल्मों की बात कर सकता हैं. 

आपको जानकारी के लिए बता दें, अशोक पंडित खुद कश्मीरी पंडित है और कश्मीरी पंडित की व्यथा को वे भली-भांति जानते हैं कि वह कश्मीर से भगाए गए हैं और वहां पर बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम भी हुआ है और इसी के चलते जब उरी मामले को लेकर प्रश्न किया गया तो इस पर वे स्वयं की व्यथा को रोक नहीं सके और आपे से बाहर हो गए. 

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