पत्नी की आपत्तिजनक तस्वीर पोस्ट करना पति को पड़ा भारी
पत्नी की आपत्तिजनक तस्वीर पोस्ट करना पति को पड़ा भारी
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक ऐसे पति के खिलाफ पहली सूचना रिपोर्ट को खारिज करने से इनकार कर दिया, जिसने व्हाट्सएप पर अपनी ही पत्नी की आपत्तिजनक तस्वीरें पोस्ट की थीं। जस्टिस पंकज नकवी और विवेक अग्रवाल की पीठ ने कहा कि एक संज्ञेय अपराध बनाया गया था। न्यायालय उस पति की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 270, 313, 323, 376 D और 34 के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने और सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम, 2008 की धारा 67 के तहत याचिका दायर की गई थी।

याचिका में आगे जांच के दौरान याचिकाकर्ता को गिरफ्तारी से सुरक्षा देने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। कोर्ट को बताया गया कि आरोप जाली थे और मनगढ़ंत थे क्योंकि शिकायतकर्ता याचिकाकर्ता की पत्नी थी और उससे छह साल बड़ी थी और यह उसकी दूसरी शादी थी। यह जोड़ा गया कि इन सभी पहलुओं की अनदेखी करके, एफआईआर दर्ज करने के लिए नकली और मनगढ़ंत आधार लिए गए।

याचिकाकर्ता के वकील एडवोकेट जटा शंकर पांडे ने कहा कि याचिकाकर्ता से अनुचित वित्तीय लाभ निकालने के लिए एफआईआर दर्ज की गई थी। अतिरिक्त सरकारी अधिवक्ता गंभीर सिंह ने कहा कि केवल इसलिए कि याचिकाकर्ता मुखबिर का पति था, जो प्राथमिकी को रद्द करने के लिए एक वैध आधार का गठन नहीं कर सकता था।

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