भोपाल। कृषि विभाग द्वारा किसानों से खेतों में नरवाई न जलाने की अपील की गई है। उपलब्ध फसल अवशेषों को जलाने की बजाए वापिस भूमि में मिला देने से कई लाभ प्राप्त हो सकेंगे। फसल अवशेष खेतों में सढ़कर, मुद्रा कार्बेनिक पदार्थ की मात्रा में वृद्धि करते है और कार्बेनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ने से मिट्टी सतह की कठोरता कम करता है।
जल धारण क्षमता एवं भूमि वातन में वृद्धि होती है। मिट्टी के रसायनिक गुण जैसे उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा, मिट्टी की विद्युत चालकता एवं मिट्टी के पीएच में सुधार होता है। खेतों में नरवाई जलाने से विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती है जिसमें मिट्टी की उर्वरा शक्ति नष्ट होना, भूमि सख्त होना, भूमि की जलधारण क्षमता में कमी, मिट्टी में कार्बेन मात्रा में कम होने के साथ-साथ, धरती का तापमान बढ़ना, भूसे की कमी और जल धन जंगल के नष्ट होने का खतरा बना रहता है।
अपील की गयी है कि किसान नरवाई का उपयोग खाद एवं भूसा बनाने में करें। भूसे और डंठल को खेत में ही एम.बी.प्लाऊ से गहरी जुताई कर उसको मिट्टी में दबाए जिससे इसका खाद बन सके। खेतो में प्लाऊ करने से वर्षा का पानी अधिक से अधिक खेत में संचय होता है।
इंदौर: हॉर्न बजाने को लेकर हुआ विवाद, 4 बदमाशों ने युवक को चाक़ू घोंपकर मार डाला
इंदौर: शराबी ने कैंची से काट डाले कुत्ते के दोनों कान, हुआ गिरफ्तार
प्रवासी भारतीय सम्मेलन की यादों को चिरस्थायी बनाएगा ग्लोबल पार्क, लगाए जाएंगे तीन हजार पौधे