भोपाल गैस मामले में पूर्व CS बैंस समेत 9 अधिकारी अवमानना के दोषी
भोपाल गैस मामले में पूर्व CS बैंस समेत 9 अधिकारी अवमानना के दोषी
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भोपाल: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के जस्टिस शील नागू और जस्टिस देवनारायण मिश्र की ने सेंट्रल गवर्नमेंट और मध्य प्रदेश सरकार के 9 उच्च अधिकारियों को अवमानना केस में दोषी पाया है। इस संबंध में 20 दिसंबर को आदेश जारी कर दिया गया था। यह आदेश अब सामने आया है। जिसमे 16 जनवरी तक अधिकारियों को जवाब देने को बोला गया था। अब केस में बुधवार यानी 17 जनवरी से सुनवाई शुरू होने वाली है। आदेश में केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों को भोपाल गैस पीड़ितों को सही इलाज एवं शोध व्यवस्था ना प्रदान कर पाने और सुप्रीम कोर्ट के भोपाल गैस पीड़ितों के स्वास्थ्य के केस में 9 अगस्त 2012 के आदेश की लगातार अवमानना का दोषी पाया जा चुका है। इसको लेकर कोर्ट ने अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कदम उठाने एवं न्यायालय की अवमानना अधिनियम 1971 की धारा-2 के तहत मुकदमा चलाने का आदेश भी दे दिया है। 

इन अधिकारियों को पाया दोषी: इसमें सेंट्रल गवर्नमेंट के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के पूर्व सचिव राजेश भूषण, सेंट्रल गवर्नमेंट के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की पूर्व सचिव आरती आहूजा, भोपाल मेमोरियल अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर की पूर्व डायरेक्टर डॉ. प्रभा देसिकान, नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन एनवायर्नमेंटल हेल्थ, आईसीएमआरएस के संचालक डॉ. आरआर तिवारी, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक् मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान, आईएनसी के  राज्य सूचना अधिकारी अमर कुमार सिंहा, आईएनसीएसआई विनोद कुमार विश्वकर्मा, आईसीएमआर की पूर्व सीनियर डिप्टी संचालक आर रामा कृष्णन का नाम भी मौजूद है। 
 
आपने पीआईएल की अवधारणा को मजाक बना दिया: कोर्ट ने इन सभी अधिकारियों पर लगाए गए चार्ज में लिख दिया है कि "सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित निगरानी सहित के जुलाई 2023 की रिपोर्ट निगरानी समिति की रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि 10.5 वर्ष से अधिक वक़्त बीत जाने के बाद आप सभी प्रतिवादियों ने सर्वोच्च न्यायालय के साथ-साथ इस न्यायालय के आदेशों का पालन करने में कोई तत्परता या ईमानदारी नहीं दिखाई है। गैस पीड़ितों को अधर में छोड़ दिया। आप सभी  प्रतिवादियों ने इन आदेश के अनुपालन की प्रक्रिया में इतनी ढिलाई बरती कि आप सभी ने  (PIL) की अवधारणा को एक मजाक तक बना डाला है। इस न्यायालय को गैस पीड़ितों के प्रति आपकी असंवेदनशीलता को छोड़कर आपके उत्तरदाताओं की ओर से ढिलाई के पीछे कोई अच्छा कारण नहीं दिखाई देता है।"

दोषी अधिकारियों की सजा मिसाल बनना चाहिए: भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एंड एक्शन की रचना ढिंगरा ने इस बारें में जानकारी दी है कि न्यायपालिका के इस आदेश का हम सभी गैस पीड़ित संगठन स्वागत भी कर रहे है  और इस आदेश को मिसाल बनाना भी जरुरी है, ताकि जिन अधिकारियों के वजह से  गैस पीड़ितों की स्वास्थ्य व्यवस्था की यह हालत बनी है। उन सभी अधिकारियों को मिसाल  दायक सजा भी दी जानी चाहिए। इस केस में कोर्ट ने सभी अधिकारियों को 16 जनवरी तक आदेश देने को कहा था। अब बुधवार से केस की सुनवाई शुरू होगी। 

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